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02 जून 2010

उत्तराखंड में महंगी हुई तकनीकी शिक्षा

में अब तकनीकी शिक्षा महंगी हो जाएगी। यह स्थिति कैबिनेट के उस फैसले की देन है जिसमें सूबे में तकनीकी शिक्षा का शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। कैबिनेट ने ग्रामीण अभियंत्रण सेवा में नए ढांचे को मंजूरी देने के साथ ही दो नए खंड खोलने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दे दी है। मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए। इनके बारे में मुख्य सचिव एनएस नपलच्याल ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड संस्कृत विवि के टीचिंग और इसके समकक्ष स्टाफ को भी छठे वेतनमान का लाभ दिया गया है। यह वेतनमान 1 जनवरी-06 से देय होगा। 31 मार्च-10 तक के देयकों में 80 फीसदी राशि केंद्र सरकार और शेष 20 फीसदी राशि राज्य सरकार वहन करेगी। कैबिनेट ने सूबे के सरकारी और शासकीय सहायता प्राप्त पॉलीटेक्निकों और राजकीय इंजीनियरिंग कालेजों में फीस बढ़ाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। इससे अब बीटेक की फीस 15 से बढ़कर 25 हजार और एमटेक की 20 से बढ़कर 30 हजार रुपये सालाना हो जाएगी। इसी तरह पॉलीटेक्निकों में फीस 9,350 से बढ़ाकर 12.500 रुपये सालाना की गई है। बढ़ी फीस इसी सत्र से लागू होगी। पहले से अध्ययनरत छात्रों से पुरानी फीस ली जाएगी। तकनीकी शिक्षा परिषद में परीक्षा शुल्क, बैक पेपर व अंकतालिका शुल्क में भी बढ़ोतरी की गई है। मुख्य सचिव ने बताया कि कृषि आधारित वृक्षों मसलन यूकेलिप्टस और पापुलर से बनने वाले प्लाई बोर्ड पर वैट 4 फीसदी की दर से वसूला जाएगा। अब तक यह 12.5 फीसदी की दर से वसूला जाता है। कैबिनेट ने ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग के ढांचे के पुनर्गठन संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। नए ढांचे के अनुसार अब विभाग में 622 के स्थान पर 790 पद होंगे। यह भी तय किया गया है कि विभाग के दो नए खंड देहरादून और पिथौरागढ़ में भी स्थापित किए जाएं। इसी तरह ईई के दफ्तरों की संख्या 13 से बढ़ाकर 20 कर दी गई है। यह भी तय किया गया है कि नए प्रखंडों के लिए पहाड़ में 9 करोड़ और मैदानी इलाकों में 12 करोड़ का कार्य करना अनिवार्य होगा। इससे कम कार्य होने की दशा में नए प्रखंड बंद भी किए जा सकते हैं(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,2 जून,2010)।

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