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20 जून 2010

बिहार के मेधावियों का भविष्य गढ़ने में मदद कर रहे बैंक

बिहार में विभिन्न बैंक मेधावी छात्रों की प्रतिभा निखारने में मददगार साबित हो रहे हैं। राज्य सरकार के दबाव और निगरानी के चलते गत चार वर्षो में बैंकों ने शिक्षा ऋण के रूप 60 हजार से अधिक विद्यार्थियों को 1737 करोड़ का कर्ज मुहैया कराया है। इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, मेडिकल और दूसरे तकनीकी संस्थानों में प्रवेश पाये इन छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए आर्थिक मदद की दरकार थी। स्टेट बैंक, पीएनबी, सेंट्रल बैंक, कराना बैंक, बैंक आफ इंडिया का ही परफार्मेस कर्ज बांटने में ठीकठाक है। 2006-07 और 08-09 के बीच राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों ने राज्य के 39900 छात्रों को 933.77 करोड़ रुपये का ऋण दिया। वहीं, 09-10 में 23616 छात्रों के बीच 704.82 करोड़ के ऋण वितरित किये। प्रदेश के छात्रों की प्रतिभा को देखते हुए यहां बैंकों से और ज्यादा मदद की अपेक्षा की जा रही है। इसी माह केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और बैंक अधिकारियों की पटना में बैठक हुई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा ऋण का मामला जोरदार तरीके से उठाया और कहा, उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को शिक्षा ऋण प्राप्त करने में परेशानी होती है। हालांकि पिछले दिनों बैंकों ने इस दिशा में कुछ बेहतरी लाई है मगर अभी भी बहुत सुधार की गुंजाइश है। राष्ट्रीय स्तर पर इस मद में अब तक कुल 32 हजार करोड़ रुपये का वित्त पोषण हुआ है मगर बिहार के छात्रों का हिस्सा मात्र 1737 करोड़ रहा है। जो राष्ट्रीय पोर्टफोलियो का मात्र 5.4 प्रतिशत है। बिहार के छात्रों की उपलब्धियों को देखते हुए राज्य का हिस्सा कम से कम 10 प्रतिशत होना चाहिए। निजी बैंक बरत रहे कंजूसी : शिक्षा ऋण देने के मामले में कारपोरेशन बैंक, एक्सिस बैंक, आईडीबीआई, बैंक आफ महाराष्ट्र, विजया बैंक, देना बैंक, स्टेट बैंक आफ पटियाला कंजूस साबित हुए हैं। निजी और सहकारी क्षेत्र के इन बैंकों में कोई भी ऐसा नहीं है जिसने 2009-10 के बीच 50 से अधिक छात्रों को शिक्षा ऋण दिया हो(दैनिक जागरण,20.6.2010)।

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