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21 जून 2010

फिजियोथेरेपी एंड रिहैबिलिटेशन : चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर विकल्प

चिकित्सा विज्ञान में फिजियोथेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसमें न केवल रोग से बचाव का उपाय बताया जाता है बल्कि जरूरत होने पर इलाज तथा रोगी के पुनर्वास की भी व्यवस्था की जाती है। बहुत सारे रोगों से बचाव के लिए कुछ खास व्यायाम फिजियोथेरेपीस्ट बताते हैं तथा रोग हो जाने पर उन्हें दूर करने के उपाय भी वे सुझाते हैं। आज पूरे विश्व में फिजियोथेरेपी की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। अमेरिका, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसे देशों में पांच अधिक सैलेरी कमाने वाले जाब्स में फिजियोथेरेपी का तीसरा स्थान है। इस क्षेत्र में पैसे की कोई कमी नहीं। बस आवश्यकता इस बात की है कि आपको रोगियों के साथ बड़े धैर्य के साथ पेश आने की जरूरत होती है। कोर्स को पूरा कर लेने के बाद सरकारी,गैर-सरकारी तथा निजी स्तर पर भी काम किया जा सकता है। निजी स्तर पर काम शुरू करने के लिए कम लागत की जरूरत होती है। फिर धीरे-धीरे जरूरत के अनुसार काम को विस्तार दिया जा सकता है।
फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में कैरियर की क्या संभावनाएं हैं? मान्यता प्राप्त संस्थान कौन से हैं?
आज लोगों का जीवन काफी फास्ट हो गया है। इरसके कारण लोगों के जीवन शैली में तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं। फलत: लोग अनिद्रा, तनाव, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, क्लोस्ट्रोल का बढ़ना, पार्किन्सन्स, कैंसर, सेरीब्रल पाल्सी, स्पौंडेलाइटिस, कमर दर्द, घुटना दर्द जैसी बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं। इन सभी बीमारियों के रोकथाम, इलाज एवं पुनर्वास में फिजियोथेरेपी की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दुनिया की हर बीमारी में फिजियोथेरेपी की भूमिका है। स्वस्थ व्यक्ति बीमार न हो जाए इसके लिए भी उसे फिजियोथेरेपिस्ट के निर्देशन में व्यायाम करना चाहिए तथा खान-पान पर नियंत्रण रखना चाहिए। फिजियोथेरेपी के मुख्यत: तीन भाग होते हैं- इलेक्ट्रोथेरेपी, एक्सरसाइजथेरेपी तथा हाइड्रोथेरेपी। इसमें इलाज विद्युत चिकित्सा, व्यायाम चिकित्सा तथा जल चिकित्सा के द्वारा होता है। इनसे इलाज कराने पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। परन्तु सतर्कता आवश्यक है। रिहैबिलिटेशन के क्षेत्र में फिजियोथेरेपी के अलावा आकुपेशनलथेरेपी, स्पीचथेरेपी, प्रोस्थेटिक एवं अर्थोटिक इंजिनियरिंग, मेडिकल सोशल वर्कर इत्यादि भी सम्मिलित होते हैं। फिजियोथेरेपी में आने वाले लगभग 30 प्रतिशत मरीजों को रिहैबलिटेशन की जरूरत होती है। रिहैबिलिटेशन कुछ महीनों से लेकर जिंदगी भर करवानी पड़ती है। अत: इस क्षेत्र में आने के इच्छुक छात्रों को धैर्यवान, मृदुभाषी, मेहनती तथा तरह-तरह के लोगों के साथ घुलने मिलने की कला आनी चाहिए। उन्हें मानव मनोविज्ञान की भी समझ होनी चाहिए। फिजियोथेरेपी कोर्स के अन्तर्गत साढ़े चार वर्ष का बीपीटी कोर्स, दो वर्ष का स्नातकोत्तर, (एमपीटी) तथा पीएचडी के कोर्स कराए जाते हैं। कहीं-कहीं दो वर्ष का डिप्लोमा कोर्स भी संचालित किया जाता है। बैचलर डिग्री में नामांकन के लिए आवेदक को इंटर जीव विज्ञान के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। राष्ट्रीय स्तर के संस्थान में नामांकन के लिए इंटर विज्ञान में 60 प्रतिशत अंक होने चाहिए। साथ ही, प्रवेश परीक्षा भी पास करना होता है। इस परीक्षा में प्रश्नों का स्तर एमबीबीएस के अनुरूप ही होता है। लड़कियों की मांग इस क्षेत्र में ज्यादा है। चूंकि महिलाओं में दर्द संबंधी बीमारियां ज्यादा होती हैं। वे मानव मनोविज्ञान को ज्यादा आसानी से समझ पाती हैं और उनमें धैर्य, प्रेम, समर्पण जैसे मानवीय गुण ज्यादा पाएं जाते हैं। यदि स्नातक कोर्स सरकारी संस्थानों से किया जाय तो कुल शैक्षणिक खर्च एक से डेढ़ लाख के बीच आता है जबकि प्राइवेट कालेजों में यह खर्च पांच से दस लाख रुपए के बीच हो सकता है। छात्रों को चाहिए कि वे स्नातक करने के बाद स्नातकोत्तर कोर्स जरूर कर लें तब उन्हें नौकरी मिलने में कठिनाई नहीं होगी। इस पाठयक्रम को समाप्त कर लेने के बाद आप प्रारंभ में दस हजार से लाखों रुपए तक की सैलरी पा सकते हैं। जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ता जायेगा वैसे-वैसे आपकी आय भी बढ़ती जायेगी। निजी स्तर पर भी काम कर अच्छी आय अर्जित की जा सकती है।
इस क्षेत्र में स्नातकोत्तर स्तर पर चेस्ट फिजियोथेरेपी, न्यूरोफिजियोथेरेपी, स्पो‌र्ट्स फिजियोथेरेपी, मस्कुलोस्केलटल फिजियोथेरेपी तथा पैड्रियाटिक फिजियोथेरापी की पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध है।

मान्यता प्राप्त संस्थान :
* आईपीएच, नई दिल्ली।
* एनआईओएच, कोलकाता।
* निरतार, कटक।
* सीएमसी, वेल्लोर।
* अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़।
* पीजीआई, चंडीगढ़।
* पीएमसीएच, पटना।
(प्रस्तुति : डा. राजीव रंजन शुक्ल,दैनिक जागरण,पटना,21.6.2010)

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