डीयू में बीएससी (ऑनर्स) मैथ्स का फर्स्ट ईयर का रिजल्ट काफी चौंकाने वाला है। काफी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स फेल हो गए हैं। फर्स्ट ईयर में स्टूडेंट्स की परफॉर्मेंस को देखें तो करीब 35 पर्सेंट स्टूडेंट्स सेकंड ईयर में नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसे स्टूडेंट्स की भी कमी नहीं है, जो किसी तरह से सेकंड ईयर में प्रमोट तो कर दिए गए हैं, लेकिन उन्हें फर्स्ट ईयर का कोई न कोई पेपर सेकंड ईयर में भी देना होगा।
करीब 1,029 स्टूडेंट्स मैथ्स ऑनर्स के एग्जाम में अपियर हुए थे जिनमें से 380 फेल हो गए हैं और 97 कंडिशनल प्रमोट किए गए हैं। कई कॉलेजों का रिजल्ट तो सुपर फेल की कैटिगरी में आता है। यह कोर्स डीयू के 22 कॉलेजों में चलता है।
वेस्ट दिल्ली के शिवाजी कॉलेज में 133 स्टूडेंट्स ने बीएससी ऑनर्स (मैथ्स) फर्स्ट ईयर का एग्जाम दिया था और इनमें से 97 स्टूडेंट्स फेल हैं। सत्यवती कॉलेज में 28 में से 21 स्टूडेंट्स अगली क्लास तक नहीं पहुंच पाए। दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज में 60 में से 39 स्टूडेंट्स फेल हो गए। राजधानी में 55 में से 30 स्टूडेंट्स फेल हुए हैं।
जाकिर हुसैन कॉलेज में 56 में से 22 स्टूडेंट्स फर्स्ट ईयर में ही रुक गए हैं। नॉर्थ कैंपस के कॉलेजों का रिजल्ट बेहतर है। हंसराज कॉलेज में फेल होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 3, हिंदू में 4, सेंट स्टीफंस में 7 और मिरांडा हाउस में 5 है। पीतमपुरा के केशव महाविद्यालय में 64 में से 28 स्टूडेंट्स आगे नहीं बढ़ पाए। एसपीएम कॉलेज में 32 में से 14 स्टूडेंट्स फेल हो गए हैं। लेडी श्री राम कॉलेज में 31 में से 3 स्टूडेंट फेल हो गए हैं जबकि पिछले साल इस कोर्स में कोई फेल नहीं हुआ था।
पिछले साल मैथ्स ऑनर्स के सिलेबस में बड़ा बदलाव किया गया था। पहले बीए ऑनर्स मैथ्स और बीएससी ऑनर्स मैथ्स दो कोर्स थे। लेकिन सेशन 2009-10 से इसे मर्ज करके बीएससी ऑनर्स मैथ्स बना दिया गया था और मैथ्स के सिलेबस को भी नया रूप दिया गया था।
डीयू में मैथ्स डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर बी. के. दास कहते हैं कि सिलेबस चेंज किया गया था और मैथ्स में कंटीनुअस स्टडी करने वाले स्टूडेंट्स ही बेहतर कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि इतने ज्यादा संख्या में स्टूडेंट्स के फेल होने के कारणों को देखा जाएगा और क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर भी विचार किया जाएगा।
इस कोर्स में चाहे आर्ट स्ट्रीम का स्टूडेंट हो या साइंस का, उसे डिग्री बीएससी मैथ्स ऑनर्स की ही मिलती है। साइंस वाला स्टूडेंट भी इकनॉमिक्स सब्जेक्ट को इस कोर्स में पढ़ सकता है। प्रो. दास का कहना है कि इतनी ज्यादा संख्या में स्टूडेंट्स इस कोर्स में फेल नहीं होते थे। चूंकि नए सिलेबस के बेस पर यह स्टूडेंट्स का पहला बैच था इसलिए कुछ समस्याएं आई हैं, लेकिन अगले साल से स्थिति में निश्चित तौर पर सुधार होगा।
दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एस. के. गर्ग ने कहा कि जब स्टूडेंट्स की मार्कशीट आ जाएगी तो देखा जाएगा कि किस सब्जेक्ट में स्टूडेंट्स फेल हुए हैं और किस सब्जेक्ट में ज्यादा सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मार्कशीट आने के बाद ही रिजल्ट का ठीक तरह से एनालिसिस किया जा सकता है।
उधर डीयू के जानकारों का कहना है कि मैथ्स ऑनर्स का नया सिलेबस लागू तो कर दिया गया था लेकिन टीचर्स को इसके लिए ट्रेंड नहीं किया गया। टीचर्स के लिए रिफ्रेशर्स कोर्स कंडक्ट किए जाने चाहिए थे(नभाटा,दिल्ली,23.7.2010)।
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