सुप्रीम कोर्ट ने दयानंद एंग्लो वैदिक (डीएवी) ट्रेडमार्क मामले को मद्रास हाईकोर्ट स्थानांतरित करने से इंकार कर दिया है। डीएवी शब्द का तीस साल से उपयोग कर रहे चेन्नई के कई स्कूलों के खिलाफ दयानंद एंग्लो वैदिक (डीएवी) कॉलेज प्रबंधन समिति ने तीस हजारी जिला अदालत में दावा दाखिल किया था, जिसे स्कूल चेन्नई स्थानांतरित करने की मांग कर रहे थे।
मामले को चेन्नई स्थानांतरित करने से इनकार
न्यायाधीश न्यायमुर्ति पी सथाशिवम व न्यायमूर्ति अनिल आर दवे ने डीएवी ब्वायज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई की ओर से दाखिल स्थानांतरण याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने फैसले में साफ किया है कि डीएवी समिति की ओर से दिल्ली की जिला अदालत में दाखिल दावे को स्थानांतरित करने का कोई आधार नहीं है। समिति का कहना है कि देश भर में सात सौ शिक्षण संस्थाएं डीएवी के नाम से चल रही हैं। स्वामी दयानंद सरस्वती के नाम पर इन संस्थाओं की स्थापना समिति की ओर से की गई थी। डीएवी शब्द समिति का ट्रेडमार्क है। इसका अन्य कोई संस्था उपयोग नहीं कर सकती है। वहीं चेन्नई के स्कूल का तर्क है कि जनवरी १९७५ में उसके प्रबंधन ने डीएवी शब्द का पंजीकरण कराया था(अमर उजाला,दिल्ली,25.7.2010)।
याचिकाकर्ता की मांग का वैध आधार नहीं
डीएवी समिति ने उसके ट्रेडमार्क का प्रयोग करने के खिलाफ स्कूल को अगस्त, २००८ में लीगल नोटिस भेजा था। इसके बाद स्कूल का विपरीत जवाब मिलने पर समिति ने दावा दाखिल कर दिया। स्थानांतरण की मांग लेकर सर्वोच्च अदालत पहुंचे स्कूल का कहना था कि उसका कोई स्कूल दिल्ली में नहीं है। इसलिए उसका मामला यहां चलाए जाने का कोई मतलब नहीं है। साथ ही इस मामले से संबंधित अधिकतर गवाह तमिलनाडु में हैं। इसलिए भी मामले को दिल्ली से मद्रास स्थानांतिरत किया जाना चाहिए। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए साफ कर दिया कि याचिकाकर्ता की मांग का कोई वैध आधार नहीं है।
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