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24 जुलाई 2010

मध्यप्रदेश के प्रयोगशालाविहीन स्कूलों के लिए तैयार हो रहा है विशेष किट

स्कूलों में प्रयोगशालाओं और संसाधनों की कमी को देखते हुए शिक्षकों के लिए किट तैयार किए जाएँगे। एनसीईआरटी ने विज्ञान, गणित, सामाजिक अध्ययन और भाषा के किट बनाने का प्रस्ताव दिया है। इसे अगले हफ्ते स्वीकृति मिल जाने की उम्मीद है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी तैयार किया जा रहा है। यह जानकारी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के प्रभारी निदेशक जी. रवीन्द्रा ने दी। भोपाल यात्रा के दौरान एक विशेष मुलाकात में श्री रवीन्द्रा ने एनसीईआरटी की योजनाओं पर विस्तार से बात करते हुए शिक्षा के अधिकार कानून की चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई स्कूलों में संसाधन नहीं हैं।
कई जगह शिक्षकों की कमी है। शिक्षकों के समान वेतन का मुद्दा भी है। कई स्कूलों में प्रयोगशालाएँ नहीं हैं। मप्र ने धन की कमी का मसला उठाया है लेकिन सभी को शिक्षा देने के लिए इन सब समस्याओं से निपटना होगा।

एनसीईआरटी को शिक्षा के अधिकार के लिए अकादमिक अधिकार प्राप्त हुए हैं। इसलिए हमारा ध्यान इसकी तकनीकी खामियों को दूर करने की ओर है। स्कूलों में तत्काल प्रयोग सुविधाएँ जुटाने के लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन के तहत विषयवार किट बनाई जा रही है। इसके लिए एनसीईआरटी ने ४ किट बनाने का प्रस्ताव दिया है। उम्मीद है कि अगले हफ्ते इसे स्वीकृति मिल जाएगी। तीन माह में विशेषज्ञों की कार्यशालाएँ कर यह किट तैयार कर ली जाएगी। योजना है कि शिक्षकों को गणित, विज्ञान, सामाजिक अध्ययन और भाषा की किट दें ताकि वह कक्षा में सहजता से विद्यार्थियों को प्रयोग कर पढ़ा सकें। नेशनल करिक्युलम फ्रेमवर्क फॉर टीचर्स एजुकेशन के तहत शिक्षकों के प्रशिक्षण की भी सामग्री तैयार की जा रही है। शिक्षास्तर में सुधार के लिए पूछे गए सवाल पर श्री रवीन्द्रा ने कहा कि यांत्रिक होते समाज में हमने शिक्षकों पर भी विश्वास करना छोड़ दिया है। हमें शिक्षकों पर विश्वास करना होगा। शिक्षकों को कुछ प्रशिक्षण और कुछ उनके काम की निगरानी की जरूरत है। हम ऐसा वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि कक्षा में बच्चे प्रश्न करने लगें।

शिक्षकों के पास एक डायरी होगी जिसमें वे रोज नोट करेंगे कि बच्चों ने कितने प्रश्न पूछे। शिक्षक ही बच्चों का पढ़ाएगा भी और वही उनका आकलन भी करेगा। शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को उम्र के मुताबिक कक्षा में भर्ती करने की बात कही गई है। इसलिए एनसीईआरटी ब्रिज कोर्स बनाने में जुटा है। इसे सहज और आसान बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि १४ साल का कोई बच्चा जब ८वीं में सीधे प्रवेश ले तो वह सरलता से ७वीं तक की बातें सीख सके(पंकज शुक्ला,नई दुनिया,भोपाल,24.7.2010)।

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