ट्रेनों में खान-पान की जिम्मेदारी जोनल रेलवे कार्यालयों को सौं पे जाने के बाद अब इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) के लगभग चार हजार कर्मचारियों पर बेरोजगार होने का खतरा मंडराने लगा है। इन कर्मचारियों में दो हजार से अधिक ऐसे कर्मचारी है, जिन्हें बाहर से आउटसोर्स किया गया था। जबकि लगभग 1,900 कर्मचारी आईआरसीटीसी और रेलवे से डेपूटेशन पर आए है। हालांकि बोर्ड ने कैटरिंग से जुड़े कर्मचारियो को भरोसा दिलाया है कि वह बेरोजगार नही हां ेगे, लेकिन मौजूदा परिस्थितियो मे कर्मचारियों को बोर्ड के इस आश्वासन पर भरोसा नही है। आईआरसीटीसी के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इनके अलावा कैटरिंग के क्वालिटी कंट्रोल मे 82 और ऑप्रेटिस मे 20 कर्मचारी तैनात है। इन सभी कर्मचारियो को यह डर सता रहा है कि बोर्ड के इस फैसले के बाद अब वे कहां जाएं गे। आईआरसीटीसी के वरिष्ठअधिकारियो का कहना है कि डेपूटेशन पर आए लोगो को तो बोर्ड वापस लेने पर विचार कर सकता है, लेकिन आउटसोर्स किए गए कैटरिं ग कर्मचारियो पर बेरोजगार होने का सबसे ज्यादा खतरा है। हालां कि बोर्ड ने आउटसोर्स
किए गए कर्मचारियो को भी यह भरोसा दिलाया है कि उनकी नौकरी पहले की तरह सलामत रहेगी। रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जोनल कार्यालयो को कैटरिंग का जिम्मा सापने का मतलब यह नही है कि दैनिक वेतन भोगियो को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए। बोर्ड के अधिकारियो का कहना है कि आउटसोर्स किए गए लोगो को यदि निकाल दिया जाता है तो उनके सामने भी समस्या यह रहेगी कि इतनी संख्या मे एक साथ लोगो की भर्ती कैसे की जाए। ऊपर से पहले से काम कर रहे ठेकेदार के कर्मचारी ट्रेड है। कैटरिंग के लिए इन्हे अलग से ट्रेड करने की जरूरत नही है(राष्ट्रीय सहारा,नई दिल्ली,25.7.2010)।
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