हरियाणा में पिछले छह वर्ष से कोई एचसीएस अफसर नहीं बना है। बड़ी संख्या में युवा इन बिगड़े हालातों से परेशान हैं। हालात यह हैं कि युवा का टैलेंट पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों की तरफ रुख करने लगा है। हरियाणा लोकसेवा आयोग के नियमों को देंखे तो हर वर्ष परीक्षा लेकर एचसीएस अफसर बनाने जरूरी हैं।
राज्य में 2004 के बाद एचसीएस अफसर बनने का दौर बंद है। इसके पीछे आयोग कानूनी पेचीदगी बताता है जबकि यहां के युवा इसे दो दलों के बीच राजनीतिक लड़ाई करार देते हैं। लंबे समय बाद 2009 में 184 पदों के लिए परीक्षा ली गई। इसमें युवाओं का हुजूम टूट पड़ा। 32 हजार युवा इस लाइन में लगे।
विकलांग कोटे की सीट के चक्कर में मामला अदालत में चला गया। इसके बाद आज तक मामला उलझा हुआ है। एचसीएस का ख्वाब लिए चंडीगढ़ भटक रहे कुरुक्षेत्र के प्रवीण डोगरा हों या रेवाड़ी के रविन्द्र यादव सभी निराश हैं।
वे ओवरऐज होने से बचने के लिए दूसरे राज्यों में जाने का मन बना चुके हैं। 21 से 40 वर्ष उम्र के चलते ऐसे भी युवा हैं तो इन वर्षों के बीच ओवरऐज होने के कारण एचसीएस बनने का सपना गंवा बैठे। हरियाणा सरकार में 167 अधिकारी ही बचे हैं जबकि 220 से ज्यादा होने चाहिए।
आयोग नौकरियों के प्रति कितना गंभीर है, इसका अन्य उदाहरण भी चर्चा में है। हरियाणा लोकसेवा आयोग ने 2009 में 1317 पद स्कूल लेक्चरर व 520 पद कॉलेज लेक्चरर के निकाले थे। इनके लिए 45 हजार युवाओं ने आवेदन किए। आज तक इन पदों पर आवेदन करने वालों के पास न तो कोई बुलावा पत्र पहुंचा है और न ही यह बताया जा रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है?
क्या है एचसीएस नियम
हरियाणा लोकसेवा आयोग के नियम 2002 में संशोधित किए गए। इनके अनुसार हरियाणा सिविल सेवा अधिनियम के तहत हर वर्ष भर्ती जरूरी है। भले ही एक पद पर ही क्यों न हो। नियम के तहत जनवरी में विज्ञप्ति निकाल कर मई-जून में प्रारंभिक परीक्षा, अगस्त में मुख्य परीक्षा एवं अक्टूबर-नवंबर में इंटरव्यू कर ड्यूटी ज्वाइन करा दी जाए।
मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने से देरी हो रही है। वहां से स्थिति स्पष्ट होने पर आगे कार्रवाई करेंगे। अभी कोई उम्मीद नहीं है।
आर.डी.श्योकंद चेयरमैन, एचपीएससी(प्रमोद वशिष्ठ,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,24.7.2010)
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