सरकार ने बच्चों को अनिवार्य व मुफ्त शिक्षा के लिए कानून बनाकर उस पर अमल तो शुरू कर दिया, लेकिन अब उसकी एक खामी उस पर ज्यादा भारी पड़ रही है। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत दाखिलों में स्क्रीनिंग टेस्ट (प्रवेश परीक्षा) पर रोक अब प्रस्तावित 6000 मॉडल स्कूलों के दाखिले की राह में भी रोड़ा बनने वाले हैं। लिहाजा अब उसको लेकर भी सरकार के माथे पर बल हैं। सूत्रों के मुताबिक शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 13 के तहत स्कूलों के दाखिलों में स्क्रीनिंग टेस्ट पर रोक के चलते खुद सरकारी स्कूलों के दाखिले में आ रही दिक्कतों से सरकार परेशान है। नवोदय विद्यालय समिति खुद को इस कानून के दायरे से अलग रखने की गुहार पहले ही कर चुकी है। जबकि कुछ दूसरे सरकारी स्कूल भी स्क्रीनिंग टेस्ट के बिना दाखिले के पक्ष में नहीं हैं। बताते हैं कि इस बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रस्तावित 6000 मॉडल स्कूलों के दाखिलों के मामले में भी शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 13 को लेकर कानून मंत्रालय की राय मांगी थी। इस पर कानून मंत्रालय ने मानव संसाधन मंत्रालय को स्पष्ट कर दिया है कि प्रस्तावित मॉडल स्कूलों के दाखिलों के मामले में भी शिक्षा का अधिकार कानून प्रभावी रहेगा। इन स्कूलों को भी शिक्षा का अधिकार के दायरे से बाहर नहीं रखा गया है, जबकि उसके लिए तय दिशा-निर्देशों में प्रवेश परीक्षा के जरिए ही दाखिला दिये जाने का प्रावधान किया गया है। सरकार के लिए यह भी परेशानी का सबब है, जबकि सामाजिक दायित्वों के तहत खास जिम्मेदारी निभाने वाले स्कूलों को इस कानून के दायरे से बाहर करने के बाद कुछ ऐसी ही भूमिका निभाने वाले निजी स्कूल भी खुद को भी ऐसी ही छूट की मांग करने लगेंगे। हालांकि निजी स्कूल वैसे भी धारा-13 की पाबंदी के खिलाफ हैं। आशंका यह भी जताई जा रही है कि ऐसे में कहीं संशोधनों के जरिए सरकार उनके लिए भी राह आसान न कर दे। फिर तो शिक्षा का अधिकार कानून का मकसद ही अधूरा रह जायेगा(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,22.7.2010)।
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