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22 जुलाई 2010

यूपीटीयू में छात्रों के लिए कई कोर्स ही नहीं

उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) अपडेट नहीं है। 638 तकनीकी संस्थानों को अपने में समेटे इस विवि के किसी भी संस्थान में इकोलॉजिकल, एन्वायरनमेंटल, मैरीन, हाइड्रोलिक, सेफ्टी, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रम नहीं हैं। इंजीनियरिंग की इन ब्रांच को उभरते अवसरों के रूप में देखा जाता है। भारत में एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग का स्कोप है। अंतरिक्ष और न्यूक्लियर एनर्जी की ओर बढ़ते कदम एयरोनॉटिकल और एयरोस्पेस जैसे क्षेत्रों में अवसरों की उम्मीद पैदा करते हैं। इसके बावजूद यूपीटीयू में इन कोर्सो की कोई व्यवस्था नही है। एमआईईटी के डायरेक्टर प्रो.एके सोलंकी का कहना है यूपीटीयू आने वाले छात्र इन स्ट्रीम के प्रति उत्साह नहीं दिखाते। कालेजों के पास पर्याप्त इंफ्रांस्ट्रक्चर नहीं है, ऐसे में नई स्ट्रीम दूर की कौड़ी ही है। विद्या कालेज के निदेशक विनोद कुमार शर्मा का कहना है कि यूपीटीयू में एक भी कालेज में ऐसी उभरती ब्रांच नहीं है। वे मानते हैं कि सभी इंस्टीट्यूट ऐसी ब्रांच चाहते हैं जिसमें वह जल्द से जल्द छात्रों की प्लेसमेंट करा सकें। ऐसे में जहां प्लेसमेंट हो रही है, उससे हटकर कुछ सोचना जरूरी नहीं समझा जा रहा। छात्रों को कौन बताए : यूपीटीयू काउंसलिंग को पहुंचे अभ्यर्थी इन ट्रेड के बारे में जानकारी चाहते हैं। जिन्हें जानकारी है उन्हें ब्रांच न होने का अफसोस है। काउंसलिंग के लिए पहुंची तान्या का कहना है मैंने इनका नाम सुना है, लेकिन इनका कितना फायदा है यह नहीं पता। मुजफ्फरनगर के निशांत का कहना है कि उसे एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग आकर्षित करती है, लेकिन जब काउंसलिंग में यह ऑप्शन ही नहीं है तो क्या फायदा। नई ट्रेड होती, तो बनती कुछ बात : इंजीनियरिंग के छात्रों की पहली पसंद आईआईटी होती है, फिर एआईईईई उसके बाद अच्छे प्राइवेट संस्थान, फिर नंबर आता है यूपीटीयू का। ऐसे में यदि यूपीटीयू के पास नई ट्रेड हो तो शायद कुछ छात्र भी आकर्षित हों। काउंसलिंग के लिए पहुंचे अभिभावक नरेश तेवतिया का कहना है जब बच्चे आईआईटी और एआईईईई में चयनित नहीं होते, तब यहां आते हैं। नई ट्रेड होती तो शायद कुछ बच्चे यहां के लिए प्रेरित हो पाते(वंदना सिंह,दैनिक जागरण,मेरठ,22.7.2010)।

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