फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र के सहारे प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक बने लोगों में मेडिकल बोर्ड के नाम पर हड़कंप मचा हुआ है। ज्यों ज्यों परीक्षण की तिथि नजदीक आ रही है इनके बीच खलबली मची हुई है। शासन ने फर्जी शिकायतों के मद्देनजर मेडिकल बोर्ड से विकलांग शिक्षकों का परीक्षण कराने का निर्णय लिया है। गोरखपुर के शिक्षकों का परीक्षण लखनऊ स्थित बलरामपुर हास्पिटल में २८ अगस्त से होगा।
विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाकर विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक बने लोगों की जांच शासन द्वारा कराई जा रही है। शासन ने बाकायदा इसके लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया है। बोर्ड प्रदेश के अलग अलग जिलों के विकलांग शिक्षकों की अलग अलग तिथियों में विकलांगता का परीक्षण करेगा। सरकार का मानना है कि फर्जी विकलांगों के चलते वास्तविक विकलांगों को नौकरी का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विशिष्ट बीटीसी २००७ से लेकर अब तक भर्ती हुए शिक्षकों को इस जांच के दायरे में रखा गया है। जांच की तिथि घोषित होने के बाद गोरखपुर के फर्जी विकलांग शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है। सबसे अधिक घबराहट दृष्टि बाधित, श्रवण बाधित और मूक बधिर अभ्यर्थियों के बीच है। विकलांग प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी पाने वाले सिर्फ गोरखपुर मंडल के चारो जिलों में लगभग २२५ शिक्षक शामिल हैं(अमर उजाला,गोरखपुर,25.7.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।