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22 जुलाई 2010

मध्यप्रदेशःआईटीआई पर दिखेगी जर्मनी की छाप!

प्रदेश के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) पर जल्दी ही जर्मनी की भी छाप दिखाई दे सकती है। इन संस्थानों के विकास और अपग्रेडेशन के लिए वहां के जाने-माने संस्थान ने हाथ बढ़ाया है।

इस सिलसिले में उसने राज्य सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव भी पेश किया है। सूत्रों के अनुसार जर्मन एजेंसी फॉर टेक्नीकल कारपोरेशन (जीटीजेड) के दक्षिण एशिया क्षेत्र के प्रमुख हैंस हर्मन ड्यूब ने बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के अपग्रेडेशन के कार्य में साझेदारी करने की मंशा जताई। श्री चौहान ने उनके प्रस्ताव पर सैद्धांतिक तौर पर सहमति दे दी है। यदि यह साझेदारी आगे बढ़ती है तो इसमें ‘क्रिस्प’ से भी मदद ली जाएगी। औद्योगिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में क्रिस्प पहले से ही कार्य करता आया है।


क्या होगा फायदा?
जर्मनी में औद्योगिक प्रशिक्षण को विश्व में सबसे बेहतर माना जाता है। वहां डच्यूल सिस्टम लागू है जिसमें प्रशिक्षण संस्थानों में औद्योगिक घरानों की सक्रिय भागीदारी होती है।


इससे प्रशिक्षुओं को सैद्धांतिक के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी हासिल होता है। यदि एजेंसी फॉर टेक्नीकल कारपोरेशन को आईटीआई के अपग्रेडेशन में शामिल किया जाता है, तो यहां भी डच्यूल सिस्टम को लागू करने में मदद मिलेगी।

‘जीटीजेड ने प्रस्ताव जरूर दिया है, लेकिन उससे कितना सहयोग लिया जाएगा, इस बारे में कहना जल्दबाजी होगी। डीपीआर के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। वैसे सरकार की मंशा यही है कि आईटीआई के अपग्रेडेशन के लिए बाहर के संस्थानों से भी कुछ कार्य करवाए जाएं।’

शिवानंद दुबे,संचालक,प्रशिक्षण

56 संस्थानों का अपग्रेडेशन

केंद्र सरकार की योजना के तहत प्रदेश के 56 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में पहले से ही अपग्रेडेशन कार्य किया जा रहा है। इसके लिए प्रत्येक आईटीआई के लिए इंस्टीटच्यूट मैनेजमेंट कमेटी (आईएमसी) बनाई गई है।

इन कमेटियों को केंद्र सरकार की ओर से ढाई-ढाई करोड़ रुपए का ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध करवाया गया है(दैनिक भास्कर,भोपाल,22.7.2010)।

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