सरकारी स्कूलों के एकीकरण और शिक्षकों के समानीकरण की असली गाज संविदा पर काम कर रहे विद्यार्थी मित्रों पर गिरी है। शिक्षा विभाग ने एकीकरण और समानीकरण के बाद अधिशेष हुए विद्यार्थी मित्रों को डार्क जोन वाले जिलों में भेजने का फैसला किया है। एकीकरण और समानीकरण से पहले बडी संख्या में विद्यार्थी मित्र सरकारी स्कूलों में लगे हुए थे, लेकिन अब इनमें से अघिकांश सरप्लस हो गए हैं।
अब शिक्षा विभाग इन्हें डार्क जोन के जिलों सिरोही, जालोर, बाडमेर, जैसलमेर, झालावाड, बांसवाडा, बीकानेर, डूंगरपुर और बारां जिलों मे भेज रहा है। ये आदिवासी और रेगिस्तानी क्षेत्र के जिले हैं, जिनमें तबादलों पर प्रतिबंध रहता है। इन जिलों में कर्मचारी जा तो सकता है, लेकिन वहां से उसका तबादला सामान्य जिलों में नहीं होता।
प्रमुख शिक्षा सचिव अशोक सम्पतराम ने बताया कि सरप्लस हुए विद्यार्थी मित्र अगर इन जिलों में संविदा पर काम करने के इच्छुक हों तो वे सम्बन्घित शिक्षा उपनिदेशक के यहां आवेदन कर सकेंगे। इन जिलों के जिन स्कूलों में शिक्षकों के पद रिक्त होंगे, वहां इनके आवेदन भेज दिए जाएंगे और प्रधानाध्यापक व विद्यार्थी मित्र के बीच अनुबंध हो जाएगा।
पद पर बने रहेंगे विद्यार्थी मित्र
जोधपुर.।राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य में विभिन्न जिलों में अनुबंध पर सरकारी स्कूलों में कार्यरत सैकडों विद्यार्थी मित्रों की ओर से दायर 150 से अधिक याचिकाओं को मंजूर कर लिया है। न्यायाधीश डॉ. विनीत कोठारी ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि सभी विद्यार्थी मित्रों को उनके नियुक्ति स्थान पर कार्य करने दे तथा किन्ही विद्यालयों में पद भर गए हों तो अन्य नजदीकी स्थानों पर उन्हें अनुबंध के तहत निर्धारित अवधि तक कार्य करने दें। सैकडों विद्यार्थी मित्रों ने याचिकाएं दायर कर बताया कि सरकार के पास रिक्त पद होने के बावजूद उन्हें हटाया जा रहा है(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,23.7.2010)।
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