केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने दिल्ली रोजगार एक्सचेंज से पूछा है कि आखिर ३० साल पहले लिपिक पद के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को अब तक कॉल लेटर क्यों नहीं भेजा गया।अशोक शर्मा ने १९८१ में राजगार कार्यालय में अपना नाम दर्ज कराया था।
उन्होंने सामान्य लिपिक पद के लिए आवेदन किया,लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया।इस संबंध में शर्मा ने ट्रांसपेरेंसी कानून का इस्तेमाल करते हुए विभाग से कारण बताने को कहा कि आखिर इतने साल बीतने के बाद भी क्यों सूचना नहीं दी गई कि उन्हें इंटरव्यू में क्यों नहीं बुलाया गया।शर्मा की तरफ से मांगी गई जानकारी के संदर्भ में रोजगार कार्यालय की तरफ से कहा गया कि एक्सचेंज,सिर्फ आवेदन करने वालों का नाम मांग के आधार पर प्रायोजित करती है,जिसमें वरिष्ठता का ध्यान रखा जाता है। जवाब से संतुष्ट न होकर शर्मा ने सीआईसी में अपील किया। सीआईसी ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि कम से कम अभ्यर्थी को यह जानने का हक है कि जिस पद के लिए उसने आवेदन किया था उसके लिए २७ सालों में एक बार भी साक्षात्कार के लिए बुलावा नहीं आया। सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने इस संबंध में कहा कि यह जानना जरूरी है कि इसके पीछे कारण क्या रहा है(नई दुनिया,दिल्ली,22.7.2010)।
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