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25 जुलाई 2010

झारखंड में डे बोर्डिग स्कूल योजना फ्लॉप

प्रतिभाशाली खिलाडि़यों को तराशने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के लिए झारखंड में डे बोर्डिग योजना शुरू हुई। शासन ने खिलाडि़यों के लिए विभिन्न जिलों में केंद्र बनाये गए, लेकिन गत चार वर्षो में इनमें से राष्ट्रीय की कौन कहे, राज्य स्तरीय खिलाड़ी भी तैयार नहीं हुए। शासन ने मान लिया है कि जिस उद्देश्य से इनकी स्थापना हुई थी, वह पूरी नहीं हुई। अब परिणाम न देने वाले और कम बच्चों वाले केंद्र बंद किये जायेंगे। इन सेंटरों के प्रशिक्षु विद्यार्थियों को दूसरे सेंटरों में स्थानांतरित किया जाएगा। सरकार इस संदर्भ में अंतिम रिपोर्ट तैयार कर रही है। केंद्र सरकार ने भारतीय खेल प्राधिकरण के माध्यम से डे बोर्डिग योजना शुरू की थी। योजना सबसे पहले झारखंड में शुरू हुई। 2006 में रांची के स्थानीय जयपाल सिंह स्टेडियम में इसका पहला केंद्र खोला गया। इसके बाद लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा व खूंटी, लातेहार जिलों में भी डे बोर्डिग केंद्र खोले जाने लगे। वोट बैंक को ध्यान में रख नेताओं ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में कई-कई सेंटर स्थापित करवा दिए। रांची में 26 केंद्र, लातेहार के महुआडांड़ ब्लाक में दस, बुंडू के अमलेशा में चार सेंटर खोले गये। प्रत्येक केंद्र में एक प्रशिक्षक और कम से कम 30 प्रशिक्षु का मानक रखा गया। सरकार प्रशिक्षुओं को वेतन मद में पांच हजार, प्रशिक्षु को पांच सौ, किट आदि पर दो हजार रुपये खर्च कर रही है। कुल मिलाकर राज्य के 103 डे बोर्डिग सेंटरों पर सालाना 6.18 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, नतीजा सिफर है। खेल निदेशक अनुराग गुप्ता का कहना है कि सरकार डे बोर्डिग सेंटरों पर नजर रखे है। रिपोर्ट तैयार की जा रही है। हम उन सेंटरों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो बेहतर परिणाम नहीं दे पा रहे हैं। सरकार जल्द ही इस पर निर्णय लेगी(संजीव रंजन,दैनिक जागरण,रांची,25.7.2010)।

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