विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय और रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय को प्रादेशिक सीमा से बाहर फ्रेंचाइजी के आधार पर बीबीए और एमबीए कोर्स की पेशकश करने पर नोटिस भेजा है। अपनी प्रादेशिक सीमा से बाहर अध्ययन केंद्र या फ्रैंचाइजी स्थापित करने और इन केंद्रों में संचालित पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए विज्ञापन जारी करने पर संज्ञान लेते हुए यूजीसी ने इन विश्वविद्यालयों से ऐसे केंद्रों को तत्काल बंद करने और संबंधित विज्ञापन वापस लेने की हिदायत दी है। यूजीसी के उप सचिव वीके जायसवाल ने कहा कि प्रो. यशपाल बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार राज्य के निजी विश्वविद्यालय प्रादेशिक सीमा से बाहर परिसर या केंद्र स्थापित करने को अधिकृत नहीं हैं। इस विषय पर विश्वविद्यालयों को पहले ही सूचित किया जा चुका है। पिछले वर्ष यूजीसी के संयुक्त सचिव केपी सिंह ने देश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और सभी राज्य विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर प्रादेशिक सीमा के बाहर अध्ययन केंद्र स्थापित नहीं करने के बारे में सूचित किया था। इसके बावजूद आयोग के समक्ष काफी संख्या में शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा इस पाबंदी का उल्लंघन करने की शिकायतें आई हैं। यूजीसी के अनुसार कई छात्रों ने सूचना के अधिकार (आटीआई): कानून के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर आयोग को यह जानकारी दी है। प्रो. यशपाल बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि केवल संसद पूरे देश या किसी विशेष क्षेत्र के लिए कानून बनाने की योग्यता रखती है और राज्य सरकार केवल अपने इलाके में कानून बना सकते हैं। हालांकि इस प्रावधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करके राज्य सरकारों ने कानून बनाकर प्रदेश विश्वविद्यालयों को प्रादेशिक सीमा से बाहर परिचालन करने, अध्ययन केंद्र स्थापित करने और कालेजों को संबद्धता प्रदान करने की अनुमति दी। आयोग ने कहा कि इससे गंभीर स्थिति पैदा हो गई है और छात्र समुदाय को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,26.7.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।