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26 जुलाई 2010

कानपुरः इंजीनियरिंग कॉलेजों में अवैध शुल्क वसूली की होगी जांच

इंजीनियरिंग कॉलेजों में मनमाना शुल्क वसूले जाने की शिकायत को यूपीटीयू व प्रदेश शासन ने गंभीरता से लिया है। इंजीनियरिंग कॉलेजों पर अब शिकंजा कसने की तैयारी है। शासन ने इसकी दोहरी जांच कराने का फैसला किया है। यूपीटीयू की टीम तो जांच करेगी ही, समाज कल्याण विभाग भी जांच करेगा। इस बावत एक कॉलेज को नोटिस भी जारी कर दी है। शासन ने इंजीनियरिंग कॉलेजों का पाठ्यक्रमवार व कालेजवार शुल्क तय किया था। हिदायत दी गयी थी कि उससे अधिक शुल्क न लिया जाए। फिर भी कालेजों से 10 से 18 हजार रुपया अधिक शुल्क लेने की शिकायतें मिलीं। बीटेक में जिन कालेजों ने बीते वर्ष प्रथम वर्ष में 75,000 रुपया शुल्क लिया था, उनमें 85 हजार से 95,000 हजार रुपया वसूला गया है। कुछ का शुल्क एक लाख से है। सौ रुपए में तैयार होने वाले आई कार्ड के 500 रुपए, उच्चस्तरीय पुस्तकालय का दावा करने के बाद भी प्रथम वर्ष में बुक बैंक के नाम पर 18,00 रुपया शुल्क वसूला जा रहा है। सबसे बड़ी वसूली पर्सानालिटी डेवलेपमेंट व प्लेसमेंट प्रोग्राम के नाम पर हो रही है। इसके लिए 4500 से 5000 रुपये लिया जा रहा है। छात्रावास के एक कमरे में तीन छात्रों को रखकर 21 से 25 हजार रुपया प्रति छात्र बोर्डिग फीस भी अभिभावकों के गले नहीं उतर रही है। तमाम कालेजों में निर्बल आय वर्ग व अनुसूचित जाति छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर फर्जी प्रमाणपत्रों से छात्रवृत्ति लेने व शुल्क लेकर प्रतिपूर्ति का भुगतान न करने की शिकायतें मिली हैं। शहर के इंजीनियरिंग कालेजों में 74 छात्रों के 35 लाख रुपये की ग्रांट रोकी गयी है। इसकी भी जांच होगी। कुलसचिव, यूपीटीयूविवि यूएस तोमर ने कहा कि शुल्क वसूली की जांच कराने जा रहा है। पहले उनकी जांच होगी जिनकी शिकायतें मिली हैं। उधर छात्रवृत्ति के मद में शुल्क प्रतिपूर्ति आदि की जांच समाज कल्याण विभाग करेगा। शासन की कड़ाई को दखने से पता चलता है कि अब कॉलेजों को प्रशासन छोड़ने की मूड में नहींहै(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,26.7.2010)।

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