‘राज्य के सभी संस्कृत विद्यालयों को प्रस्वीकृति मिलने तक न्यायालय ने मध्यमा परीक्षा पर रोक लगा दी है। एक महीने के भीतर बोर्ड को सभी संस्कृत विद्यालयों को प्रस्वीकृति प्रदान करनी होगी, अन्यथा हजारों छात्र इस वर्ष मध्यमा परीक्षा देने से वंचित रह जायेंगे’ ये बातें बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष सिद्धेश्वर प्रसाद ने बोर्ड परिसर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही। बिहार सं स्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष सिद्धेश्वर प्रसाद ने कहा कि अब तक कुल 550 संस्कृत विद्यालय ही स्वीकृत है। वही 4500 संस्कृत विद्यालय प्रस्तावित है। न्यायालय ने 4500 प्रस्तावित विद्यालयों के वर्ष 2009 का रिजल्ट भी रोक दिया है। उन्होंने कहा कि जिला पदाधिकारियों को जांच के लिए कुल 1659 अभिलेख भेजे गये है जिनमें अब तक सिर्फ 714 प्रतिवेदन ही प्राप्त हुए है, जो चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि पटना, गया, पूर्णिया, किशनगंज, बक्सर, रोहतास एवं पूर्वी चम्पारण से एक भी प्रतिवेदन प्राप्त नही हुआ है। शेखपुरा, बांका, भोजपुर से ही पूर्ण प्रतिवेदन प्राप्त हुए है। उन्होंने कहा कि अगर जिलाधिकारियों के द्वारा जल्दी प्रतिवेदन आ जायें, तो प्रस्वीकृति की प्रक्रिया एक महीने में पूरी की जा सकती है। लेकिन इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को छात्रहित में जल्द से जल्द अन्य सभी प्रतिवेदनों को भेजना होगा। उन्होंने सरकार से भी अनुरोध किया है कि संस्कृत विद्यालयों को सुदृढ़ करने में बोर्ड की मदद करे। संस्कृत विद्यालय के छात्र अब तक सरकारी सुविधाओं से वंचित है। वही उन्होंने बोर्ड परिसर के लिए नये भवन की मांग की है(राष्ट्रीय सहारा,पटना,23.7.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।