हरियाणा के सरकारी स्कूलों में बिना कामकाज खाली बैठे प्रवक्ताओं की मौज खत्म होने वाली है। शिक्षा विभाग ने ऐसे प्रवक्ताओं को उन स्कूलों में स्थानांतरित करने का फैसला लिया है, जिनमें बच्चों की संख्या ज्यादा और शिक्षकों की संख्या काफी कम है। इसके लिए तीन शिक्षा निदेशकों को अलग-अलग जिले बांटकर जिम्मेदारी सौंपी गई है। सबसे पहले यह कवायद सीनियर सेकेंडरी स्कूलों से आरंभ की जा रही है, जहां 12 हजार 345 स्वीकृत पदों के विपरीत 8,945 प्रवक्ता कार्यरत हैं। किसी स्कूल में बच्चों की संख्या अधिक है तो कहीं लेक्चरर कम हैं। कहीं लेक्चरर अधिक हैं तो बच्चे उपलब्ध नहीं हैं। शिक्षा निदेशक मो. शाईन ने सभी सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के प्राचार्यो से शिक्षकों और छात्रों की संख्या का ब्यौरा मांगा है। प्राचार्यो से विषयवार छात्रों और अध्यापकों की संख्या के बारे में भी जानकारी देने को कहा गया है। इस कार्य के लिए प्राइमरी शिक्षा निदेशक, सर्व शिक्षा अभियान के निदेशक और स्कूल शिक्षा निदेशक को सात-सात जिले बांटकर पूरी जानकारी जुटाने के निर्देश दिए गए हैं। शिक्षा विभाग का मानना है कि नई नियुक्तियां होने तक ऐसे प्रवक्ताओं से काम लिया जाये, जो स्कूलों में खाली बैठे मौज मारते रहते हैं। 11वीं और 12वीं के स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात ठीक करने के बाद बाकी कक्षाओं में इसे लागू किया जाएगा। शिक्षा विभाग फिलहाल 50 छात्रों पर एक शिक्षक के अनुपात में लेक्चरर का समायोजन करेगा। 90 छात्रों पर शिक्षकों की संख्या दो होगी और इससे अधिक प्रत्येक 40 छात्र पर एक-एक शिक्षक बढ़ता चला जाएगा(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,26.7.2010)।
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