बढ़ते फास्ट फूड व डिब्बा बंद खाद्य-पदार्थ के चलन ने युवाओं के लिए कॅरियर की नई राह प्रशस्त की है। इसमें कई ऐसे पाठयक्रम आज उपलब्ध हैं जो रोजगार प्रदान कर सकते हैं। इस तकनीक से संबंधित आंकडों पर गौर करें तो लगभग 30 करोड़ आबादी संशोधित व डिब्बाबंद खाद्य-पदार्थ इस्तेमाल करती है, जिसमें सन् 2010 तक 20 करोड़ और लोगों के जुड़ने की संभावना है। वैसे भी भारत फल और सब्जियां पैदा करने वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। एक अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में डिब्बा बंद खाद्य-पदार्थों का कारोबार 30 से 35 अरब रुपए वार्षिक है। यही कारण है कि यह क्षेत्र बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
व्यस्त और भागमभाग की जिंदगी ने बाहर खाने को ज्यादा मजबूर किया है। गृहणियां भी आज नौकरी में अव्वल स्थान प्राप्त कर रही हैं। मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। इस कारण किचेन में अपना समय देना वे उचित नहीं समझती। उनके पास समय भी नहीं होता। इस कारण बाहर खाने-पीने का प्रचलन बढा है। यही वजह है कि फास्ट फूड का कल्चर समाज पर पूरी तरह से हावी है। वर्तमान में भोजन की बदलती आदतों के कारण डिब्बाबंद प्रोसेस्ड खाद्य-पदार्थो एवं पेय पदार्थों का प्रचलन दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बढ़ते फास्ट फूड व डिब्बा बंद खाद्य-पदार्थ के चलन ने युवाओं के लिए कॅरियर की नई खिड़की खोल दी है। इसमें कई ऐसे पाठयक्रम आज उपलब्ध हैं जो रोजगार प्रदान कर सकते हैं। इस तकनीक का भविष्य देखें तो भारत की लगभग 30 करोड़ आबादी संशोधित व डिब्बाबंद खाद्य-पदार्थ इस्तेमाल करती है, जिसमें सन् 2010 तक 20 करोड़ और लोगों के जुड़ने की संभावना है। वैसे भी भारत फल और सब्जियां पैदा करने वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। एक अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में डिब्बा बंद खाद्य-पदार्थों का कारोबार 30 से 35 अरब रुपए वार्षिक है। यही कारण है कि यह क्षेत्र मल्टीनेशनल कंपनियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इसी आकर्षण के कारण कई मल्टीनेशनल कंपनियां जैसे मैक्डोनॉल्ड, पेप्सी, कोका कोला व हिन्दुस्तान लीवर अपना कारोबार भारत में बढ़ाती जा रही है।
पाठयक्रम
बीएससी इन फूड टेक्नोलॉजी (3 वर्ष)
बीएससी इन फूड न्यूट्रीशियन एंड प्रिजरर्वेशन (3 वर्ष)
बीटेक इन फूड इंजीनियरिंग (4 वर्ष)
एमएससी इन फूड टेक्नोलॉजी (2वर्ष)
योग्यता
फूड टेक्नोलॉजी में स्नातक डिग्री में प्रवेश पाने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी अथवा मैथमेटिक्स विषयों के साथ 10+2 में कम से कम 50 प्रतिशत अंक जरूरी हैं। एमएससी कोर्स करने के लिए फूड टेक्नोलॉजी से संबंधित विषयों में स्नातक की डिग्री आवश्यक है।
पढाई व प्रशिक्षण
फूड टेक्नोलॉजी तथा इससे संबंधित पाठयक्रम के अंतर्गत खाद्य पदार्थों के उचित रखरखाव से लेकर पैकेजिंग, फ्रीजिंग आदि की तकनीकी जानकारियां शामिल होती हैं। इसके अंतर्गत पोषक तत्वों का अध्ययन, फल, मांस, वनस्पति व मछली प्रसंस्करण आदि से संबंधित जानकारियां भी दी जाती हैं। चूंकि इसमें पढाई का ज्यादा महत्व तो होता नहीं है, इसलिए ज्यादा प्रशिक्षण पर ही ध्यान दिया जाता है।
कार्य
काम तो जो भी होगा खाने-पीने से ही संबंधित होगा। इसलिए जो स्वाद के शौकिन हैं उनके लिए यह क्षेत्र काफी लुभावना है। फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के तहत वे सभी कार्य शामिल हैं, जिनसे खाने वाली चीजों की गुणवत्ता, स्वाद और रंग-रूप बरकरार रह सके। जैसे- मक्खन, सॉफ्ट ड्रिंक, जेम व जेली, फ्रूट जूस, बिस्कुट, आइसक्रीम आदि। इसके अलावा वह कच्चे और बने हुए माल की गुणवत्ता, स्टोरेज तथा हाइजिन आदि की निगरानी भी करता है। इसमें निगरानी का विशेष योगदान इसलिए है क्योंकि स्वाद या गुणवत्ता में एक छोटी खामी भी पूरी कंपनी के नाम पर बट्टा लगा सकती है।
रोजगार
यह कोर्स पूरा कर लेने के बाद फूड इंडस्ट्री, होटलों, अस्पतालों, पैकेजिंग इंडस्ट्री, सॉफ्ट ड्रिंक फैक्टरी, राइस मिल आदि में नौकरी प्राप्त की जा सकती है। फूड टेक्नोलॉजी का कोर्स करके स्वरोजगार भी किया जा सकता है। ज्यादातर लोग ऐसा ही करते हैं। घर पर ही आचार, जैम, जेली या बेकरी का काम शुरू कर अच्छी कमाई कर लेते हैं। यह कोर्स कर आप चाहें तो तकनीकी संस्थाओं में शिक्षक या प्रशिक्षक के पद पर भी कार्य कर सकते हैं।
संस्थान
यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली, दिल्ली
कोलकाता विश्वविद्यालय, कोलकाता
इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, मैदानगढ़ी, दिल्ली
यूनिवर्सिटी ऑफ कालीकट, केरल
जी. बी. पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रिकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर, उत्तराखंड
बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, झांसी, उत्तर प्रदेश
कानपुर यूनिवर्सिटी, कानपुर, उत्तर प्रदेश
सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टीटयूट, मैसूर
बिरला इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, रांची, बिहार
(देशबन्धु,दि्ल्ली,17.7.2010)
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