आज शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र है जहां गु्रप डिस्कशन नहीं होता हो। बोलचाल में कौन कितना निपुण है, यह जानकारी गु्रप डिस्कशन से ही पता चलता है। खासतौर पर मैनेजमेंट के क्षेत्र में उम्मीदवार के बिजनेस एप्टीटयूड, कम्युनिकेशन स्किल, विश्लेषण क्षमता, नेतृत्व, प्रबंधकीय कौशल और टीमभावना को परखने के लिए जीडी का आयोजन किया जाता है। लिखित परीक्षा में जहां इस बात की जांच की जाती है कि उम्मीदवार की जानकारी का स्तर कितना है, वहीं गु्रप डिस्कशन और पर्सनेलिटी टेस्ट के जरिए उम्मीदवार की समझ और उस समझ को इस्तेमाल करने की क्षमता का आकलन किया जाता है। निम्नलिखित बातों का ख्याल रख आप इस चुनौती को आसानी से पार कर सकते हैं।
सोच-समझ कर बोलें
यादातर उम्मीदवार मानते हैं कि अधिक बोलने पर वे यादा स्कोर कर सकेंगे। यह एक तरह से भ्रांति है जिसका लाभ नहीं मिलता। बहुत अधिक या बहुत कम बोलना दोनों ही उचित नहीं है। विषय का अच्छी तरह विश्लेषण कर लें। तथ्यों को सोच-समझकर बोलें और उनके दोहराव से बचें। यह सोचना गलत है कि कठिन और आलंकारिक अंग्रेजी भाषा का प्रयोग कर आप इंटरव्यू पैनल को प्रभावित कर सकते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि आप व्याकरण की दृष्टि से शुध्द और सरल भाषा का इस्तेमाल करें, ताकि आप बिना किसी उलझन के पैनल व समूह के अन्य सदस्यों तक अपनी बात पहुंचा सकें।
स्पष्ट सोच जरूरी
जीडी आमतौर पर 20 से 30 मिनट का होता है। इसका प्रमुख उद्देश्य ऐसे योग्य उम्मीदवार चुनना होता है, जो भावी मैनेजर बनने की योग्यता रखते हैं। जरूरी है कि करेंट घटनाओं, बिजनेस मूल्य और सिध्दांत, नवीन आर्थिक नीतियां और वुमन मैनेजर जैसे सम-सामयिक विषयों पर अपनी स्पष्ट सोच विकसित करें। अपनी बातों को अधिक से अधिक जानकारी, आंकड़ों व सर्वे से पुष्ट करें। वर्ष की बड़ी घटनाओं की विस्तृत जानकारी रखें। आपका मत किसी तरह के पूर्वाग्रह से प्रभावित नहीं होना चाहिए। अपनी सोच को उदाहरण व तथ्यों के साथ ही रखें। अगर ऐसा कर पाते हैं तो पैनल अवश्य आपसे प्रभावित होगी।
नम्रता से हो बात
जब लगने लगे कि अब ग्रुप डिस्कशन का समय खत्म होने वाला है, तो डिस्कशन के दौरान कही गई बातों का विश्लेषण कर उनका एक सार निकालें और उन्हें इस तरह से पेश करें कि लगे आपने डिस्कशन का एक नतीजा निकाला है। नतीजा पूरी तरह से पक्षपातरहित होना चाहिए और उससे किसी भी दूसरे उम्मीदवार की भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए। साथ ही अपनी बात को बहुत विनम्रता के साथ परोसना चाहिए। विनम्रता भी अंतत: शब्दों के तासीर को उम्दा बनाती है। विनम्रता को सारे लोग गौर से आंकते हैं।
(देशबन्धु,दिल्ली,29 मई,2010)
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