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02 जुलाई 2010

रायपुर का आईआईएम खटाई में

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय और राज्य सरकार की लापरवाही की वजह से राजधानी को मिली आईआईएम की सौगात धरी की धरी गई । 2010 से शुरू होने वाला नया सत्र एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया।

आईआईएम रायपुर के लिए मेंटर आईआईएम के तौर पर नियुक्त इंदौर आईआईएम के एक अधिकारी ने भी रायपुर आकर व्यवस्था संभालने का जिम्मा नहीं उठाया। वर्तमान में इंदौर के डायरेक्टर एन रविचंद्रन ने पूर्व में जून के पहले सप्ताह में राजधानी आने की स्वीकृति दी, लेकिन आए नहीं।

मैनेजमेंट के छात्रों की यह बड़ी सौगात केवल केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से एक साल के लिए टल गई। आईआईएम के नाम पर केवल न्यू जीईसी सेजबहार में एक ब्लॉक का आबंटन किया गया है।

इसके अलावा संस्थान को शुरू करने के नाम पर एक भी कदम नहीं उठाया गया है। तकनीकी शिक्षा के संचालक रोहित यादव इस समय ट्रेनिंग के लिए राज्य से बाहर हैं और विभाग के सचिव नारायण सिंह इस संबंध में फिलहाल कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं।

कुछ भी नहीं हुआ

केंद्र सरकार की ओर से आईआईएम रायपुर में डायरेक्टर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन भी निकाला गया, लेकिन इसके लिए तीन आवेदन भी आए। अधिकारियों की लापरवाही की वजह इसके लिए इंटरव्यू भी नहीं हो सका। कैट में चयनित छात्रों ने दूसरे संस्थानों में एडमिशन भी ले लिया। लगभग हर स्थान में पढ़ाई भी शुरू हो गई, लेकिन रायपुर में पढ़ाई शुरू करने के लिए किसी ने भी रुचि नहीं दिखाई।

मेहनत से मिला, लेकिन कद्र नहीं

राज्य बनने के बाद से ही राजधानी में आईआईएम की मांग की जा रही थी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की शाखा २क्क्९ तक केवल सात शहरों में ही थी। लगातार दबाव के बाद तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री अजरुन सिंह ने चार नए स्थानों पर आईआईएम की शाखा खोलने की अनुमति दी थी।

इसमें रायपुर, रांची, देहरादून एवं त्रिरुचापल्ली शामिल थे। इनमें दो स्थानों में आईआईएम की पढ़ाई भी शुरू हो गई है, लेकिन रायपुर में इसके लिए कुछ भी नहीं हुआ।

एक-दूसरे पर आरोप

आईआईएम रायपुर शुरू नहीं हो पाने की वजह केंद्र और राज्य सरकार एक-दूसरे पर डाल रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इंदौर आईआईएम ने पढ़ाई शुरू करवाने के लिए कुछ नहीं किया, तो इंदौर के डायरेक्टर का कहना है कि इंस्टीट्यूट में डायरेक्टर और स्टाफ की नियुक्ति करना हमारा काम नहीं है। दोनों विभागों के चक्कर में मैनेजमेंट के छात्रों का भविष्य इस साल दांव पर लग गया।

इनसे पड़ा हाथ धोना

नेशनल और इंटरनेशनल कंपनियां राजधानी में प्रवेश करती।
छात्रों को ऊंचे ओहदे और लाखों रुपए क पैकेज मिलते।
बड़ी सेलीब्रेटी और मैनेजमेंट गुरुओं की सीख मिलती।
राजधानी का नाम देशभर में रोशन होता।
विश्वभर के मैनेजमेंट छात्रों को दे सकते रायपुर के छात्र कड़ी टक्कर।
अच्छे मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना होती।
(दैनिक भास्कर,छत्तीसगढ़,2.7.2010)

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