ज्ञान की सीमा नहीं.. गुरु बनकर भी कुछ चीजें सीखने को रह सकती हैं। कुछ ऐसा ही पाने के लिए अम्बाला में लेक्चर्स को पढ़ाया जा रहा है। दरअसल मानवाधिकार को भारतीय ग्रंथों के नजरिए से बताने का यह एक माह का खास कोर्स है। एसडी कालेज में इसकी शुरुआत की गई है।
मानवाधिकार पर संसार भर में अनेक सेमिनार होती हैं। भारत में मानव अधिकार संगठन एमए आदि भी कराता है। लेकिन सब से हटकर इस विषय को कुछ नए ढंग से पढ़ाने की ठानी गई। एसडी कालेज संस्कृत विभाग ने यूनिवर्सिटी के रिटायर विद्वान प्रोफेसरों के साथ मिलकर कोर्स डिजाइन किया।
समय अवधि फिलहाल एक माह रखी गई है। एक माह के बाद कोर्स करने वाले टीचर्स की लिखित परीक्षा तो नहीं होगी। लेकिन उन्हे एक असाइनमेंट के माध्यम से अपने सीखने का प्रमाण देना होगा।कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी दर्शनशास्त्र विभाग के रिटायर प्रोफेसर हिम्मत सिंह सिन्हा गुरुओं को पढ़ाने के कोर्स में गुरु की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। डा. सिन्हा कहते हैं कि निश्चित रूप से हमें मानवाधिकार को सही अर्थो में बताना है। पहले टीचर समझें, उसे अपने भाषायी विषयों के माध्यम से पढ़ाएं। तो नई पीढ़ी मानव के अधिकारों को सही तरह समझ पाएगी।
20 टीचर कर रहे हैं पढ़ाई..
अभी इस कोर्स में करीब 20 टीचर हैं। इनमें मुख्य रूप से भाषायी विषयों की फेकल्टी है। इसके अलावा साइंस विषयों के टीचर भी इसमें पढ़ाई कर रहे हैं। इस कोर्स में मानवाधिकार को भारतीय ग्रंथ के नजरिए से बताया जाएगा(दैनिक भास्कर,अम्बाला,26.7.2010)।
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