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26 जुलाई 2010

दिल्लीःसमय पर अंक नहीं जमा कराने वाले कॉलेजों की ख़ैर नहीं

इंटरनल एसेसमेंट के मार्क्‍स या उससे जुड़े जरूरी दस्तावेज समय पर विश्वविद्यालय में जमा नही करने वाले कॉलेजों की अब खैर नही। हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय को ऐसे कॉलेजों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने को कहा है जो समय पर छात्रों के इंटरनल एसेसमेंट मार्क्‍स या जरूरी दस्तावेज जमा नही करते है। इसके लिए हाईकोर्ट ने विश्वद्यालय को अपने कानून में बदलाव करने को कहा है ताकि समय पर इंटरनल एसेसमेंट के मार्क्‍स नही मिलने पर छात्रों का रिजल्ट रोकने के बजाए कॉलेज के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सके। न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंड लॉ ने यह आदेश देशबंधु गुप्ता कॉलेज में बीए के एक छात्र निखिल शर्मा की याचिका पर दिया है। हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को अपनी इंटरनल एसेसमेंट योजना के क्लॉज 5(आई) में बदलाव लाने को कहा है। ताकि समय पर छात्रों का इंटरनल एसेसमेंट के मार्क्‍स व उससे जुड़े जरूरी दस्तावेज जमा नही करने वाले कॉलेज को दंड दिया जा सके। न्यायमूर्ति लॉ ने साफ कहा कि वर्तमान नियमों के चलते कॉलेज की गलतियों की खामियाजा छात्र को भुगतना पड़ता है क्योंकि विश्वविद्यालय छात्र का परीक्षा परिणाम रोक लेता है। उन्होंने इसे अनुचित बताया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक को दो सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता व पीड़ित छात्र निखिल की नई मार्क्‍सशीट जारी करने को कहा है। दरअसल याचिकाकर्ता निखिल को शैक्षणिक सत्र 2006-07 में इंटरनल एसेसमेंट में कुल 17 अंक प्राप्त हुए थे, लेकिन उसकी मार्क्‍सशीट में एसाईंमेंट के 7.2 अंक नही जोड़े गए थे। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने कहा कि छात्र के कॉलेज द्वारा एसाइंमेंट का पेपर जमा नही किए जाने की वजह से इस मद में मिले अंक मार्क्‍सशीट में नही जोड़े गए। वही कॉलेज का कहना था कि विश्वविद्यालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों के तहत आंतरिक परीक्षा उपस्थिति पंजिका तो सुरक्षित रखी जाती है लेकिन एसाइंमेंट पेपर रखने का प्रावधान नहीं है इसलिए उसे सुरक्षित नही रखा जाता है। हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से कोर्ट में ऐसे किसी दिशा निर्देश की प्रति पेश नही की गई। एक सवाल के जवाब में विश्वविद्यालय ने कहा कि सैकड़ों छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए गलती करने वाले कॉलेज के खिलाफ मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई नही की जा सकती है(प्रभात कुमार, राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,26.7.2010)।

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