मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

26 जुलाई 2010

पंजाबःनिजी कॉलेजों ने मुफ्त तकनीकी शिक्षा की योजना ठुकराई

प्रदेश में मेधावी छात्राओं, आर्थिक तौर पर कमजोर, पिछड़े वर्ग व अपाहिज विद्यार्थियों को तकनीकी शिक्षा निशुल्क दिलाने वाली मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की योजना को इस साल निजी कालेजों ने मानने से मना कर दिया है। निजी कॉलेजों के संगठन पंजाब अन-एडेड टैक्निकल इंस्टीट्यूट्स एसोसिएशन (पुटिया) ने फी-वेवर स्कीम के तहत बी.टैक (सभी स्ट्रीम) व डिप्लोमा कोर्सेस में निशुल्क दाखिले न देने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली है।

पंजाब सरकार करार के मुताबिक स्कीम लागू करवाने को जबरदस्ती न करे, इसके लिए हाईकोर्ट से संरक्षण भी मांगा जाएगा। पुटिया के इस फैसले से हजारों जरुरतमंद विद्यार्थियों का नामवर कॉलेजों में निशुल्क इंजीनियरिंग करने का सपना टूट गया है।

जानिए स्कीम व उसके लाभ :

साल 2008 में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मेधावी छात्राओं, अपाहिज व आर्थिक तौर से कमजोर वर्ग के लिए तकनीकी शिक्षण संस्थानों में निशुल्क सीट देने की घोषणा की थी।

इसे अमलीजामा देते हुए तकनीकी शिक्षा विभाग ने पंजाब टैक्निकल यूनिवर्सिटी व पुटिया के बीच करार करवाते हुए नोटिफिकेशन संख्या 13/60/08/02/3795 तिथि 27/08/2008 जारी की थी। इसके तहत प्रदेश के 83 इंजीनियरिंग कॉलेजों व 100 से ज्यादा पॉलीटैक्निक इंस्टीट्यूट्स को कुल सीट (60) के ऊपर 10 प्रतिशत अतिरिक्त सीटें आल इंडिया काउंसलिंग फॉर टैक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) से मंजूर करवानी होती थी।

कुल छह सीटों में एक पर अपाहिज छात्र, तीन पर मेधावी छात्राएं (इनमें ग्रामीण छात्राओं को तरजीह) व दो आर्थिक तौर पर कमजोर छात्रों (जिनके अभिभावकों की वार्षिक आय 2.50 लाख से कम थी) को दी जाती थीं। दो साल तक चली इस स्कीम का लाभ प्रतिवर्ष आठ हजार विद्यार्थियों ने लिया।

इस कैटेगिरी के हर विद्यार्थी को चार साल डिग्री कोर्स में कुल दो लाख, डिप्लोमा कोर्स वालों को 54 हजार 450 रुपए का लाभ तीन साल में मिलता था। दो साल तक निजी कॉलेज इस स्कीम के तहत खुद अपने स्तर पर सीटें भरते रहे हैं, जबकि इस बार ऑनलाइन काउंसलिंग के जरिए पीटीयू ने इसके दाखिले निजी कॉलेजों में करवाने थे। ऐसे में माना यह भी जा रहा है कि निजी कॉलेज असल में इस स्कीम के तहत डोनेशन लेकर फर्जी विद्यार्थियों या मंजूर सीटों से अधिक हुए दाखिलों को एडजस्ट करते थे। प्रक्रिया पीटीयू के हाथ में आने से पुटिया सदस्य नाराज थे और हाईकोर्ट गए।

विभाग की कमजोरी जिम्मेदार

निजी कॉलेजों में सीटें निर्धारित करने का जिम्म्मा एआईसीटीई के पास है, जिसमें फी-वेवर स्कीम की इन अतिरिक्त सीटों की भरपाई का कोई प्रावधान ही नहीं है। बीते दो साल से तकनीकी शिक्षा विभाग पीटीयू व अपने दवाब से ही इन सीटों को एआईसीटीई से मान्यता लेकर देता रहा है। इस बार तकनीकी शिक्षा विभाग ने एआईसीटीई से इस संबंध में नोटिफिकेशन व नियमावली में संसोधन करवाने का प्रयास किया था, जो अब सिरे चढ़ता दिखाई नहीं पड़ रहा है। ऐसे में अगर पहले साल ही मान्यता दिलाई होती तो पुटिया हाईकोर्ट से अपने हक में फैसला नहीं ले सकती थी। चूंकि अब एआईसीटीई में प्रावधान नहीं है, इसलिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट कह दिया है कि वे नान-एडेड कॉलेजों पर इस कोटे के तहत सीटें भरने का दवाब नहीं बना सकते।

ञ्चमुख्यमंत्री ने फी-वेवर स्कीम वालंटरी तौर पर मांगी थी। एआईसीटीई के नियमों में इस 10 प्रतिशत कोटे का उल्लेख नहीं है, इसलिए हम बाध्य नहीं हैं। पुटिया के कॉलेजों में 12 हजार सीटें पहले रही खाली हैं। फिर भी कुल सीटों में ही चैरेटी की सीटें अपनी मर्जी से जरूर दी जाएंगी।

-जेएस धालीवाल, अध्यक्ष, पुटिया।

ञ्चपीटीयू काउंसलिंग करवाएगी, पुटिया के विरोध का हल निकाला जाएगा। हाईकोर्ट में दलीलें अभी रखी जानी हैं, फिलहाल कुछ कहना उचित नहीं। सरकारी व एडेड कॉलेजों में हर हाल में लाभ दिया जाएगा।

- मोहनबीर सिंह, एडिशनल डायरैक्टर, तकनीकी शिक्षा विभाग, पंजाब(रजनीश शर्मा,दैनिक भास्कर,जालंधर,26.7.2010)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।