पंचायतीराज शिक्षकों के 12 हजार तबादले निरस्त होने के बाद जहां शिक्षा विभाग ब्लॉक शिक्षाधिकारियों के मार्फत सूचियां निकलवाने की तैयारी कर रहा है, वहीं राज्य के प्रधानों ने इनमें नियमों के तहत अडं़गा लगाने की तैयारी शुरू कर दी है।
पंचायतीराज नियमों का हवाला देते हुए इन प्रधानों ने कहा है कि स्थायी समिति तथा प्रधान के अनुमोदन से ही सूचियां जारी होंगी। यदि सीधे ब्लॉक शिक्षाधिकारियों के माध्यम से सूचियां जारी करवाई गईं तो वे अदालत में जाएंगे। प्रधानों का कहना है कि तबादलों के मामले में उनकी राय नहीं लेने की कीमत विभाग पहले ही भुगत रहा है। शिक्षामंत्री मास्टर भंवरलाल के निरस्त सूचियों को ब्लॉक शिक्षाधिकारियों के मार्फत जारी करवाने की बात पर प्रधान अपने अधिकारों को लेकर खुलकर मैदान में आ गए हैं।
पंचायतीराज नियम 89 की उपधारा 8 ए के तहत पंचायत समिति की स्थायी समिति और प्रधानों के अनुमोदन के बाद ही तबादला आदेश जारी किए जा सकते हैं। राजस्थान पंचायतीराज कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष मूलचंद गुर्जर और प्रवक्ता नारायणसिंह ने कहा है कि शिक्षा विभाग की गलती से राज्य के 12 हजार शिक्षक परिवारों के साथ ही स्कूल एवं लाखों बच्चे प्रभावित हो रहे हैं।
यह प्रक्रिया पंचायतीराज कानून के तहत पूरी होनी चाहिए। ऐसा नहीं होने पर रिलीव नहीं हुए शिक्षकों को ज्वॉइन ही नहीं करने दिया जाएगा। राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के महामंत्री महावीर सिहाग ने शिक्षामंत्री के बयान को शर्मनाक बताते हुए मांग की है कि सभी सूचियां प्रधानों के अनुमोदन के बाद ही जारी होनी चाहिए।
नियमों में यह है प्रावधान
पंचायतीराज नियमों के तहत एक स्कूल से दूसरे स्कूल में ब्लॉक के अंदर विकास अधिकारी व प्रधान के साथ पंचायत समिति की स्थायी समिति के अनुमोदन के बाद ही तबादला आदेश जारी हो सकते हैं। एक जिले में एक पंचायत समिति से दूसरी पंचायत समिति में तबादले के लिए दोनों प्रधानों व विकास अधिकारियों की सहमति के साथ जिला परिषद की स्थायी समिति का अनुमोदन और जिला प्रमुख की सहमति के साथ ही मुख्य कार्यकारी अधिकारी तबादला आदेश जारी किया जा सकता है। एक से दूसरे जिले की पंचायत समितियों में शिक्षक तबादले दोनों जिलों की पंचायत समितियों के प्रधान व विकास अधिकारी की सहमति के बाद निदेशालय पंचायतीराज विभाग के आदेश जारी किए जाते हैं।
प्रधान बोले
मनमर्जी नहीं चलने देंगे। पहली गलती पर कोर्ट ने आदेश निरस्त किए, यदि अब हमारे अधिकारों को ओवररूल किया तो हम कोर्ट में जाएंगे। ब्लॉक शिक्षाधिकारियों की मार्फत जारी होने वाली सूची हमारे अनुमोदन के बाद ही जारी होंगी। - सुशील कुमार ओसवाल, प्रधान मावली
पंचायतीराज शिक्षकों की तबादला सूचियां प्रधान की टेबल से होकर ही गुजरेंगी। यदि शिक्षकों को लगाने का अधिकार ही नहीं रहेगा तो पंचायत समिति का काम ही क्या रह जाएगा। - मोहम्मद उस्मान खान, प्रधान धोद
पंचायतराज के शिक्षकों के तबादले प्रधान की अनुशंसा पर होने चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो प्रदेशस्तर पर इसका विरोध किया जाएगा। - जुगल किशोर, प्रधान, बस्सी
अधिकार छीने नहीं जा सकते
समानीकरण एवं तबादलों पर मैं कुछ नहीं कहना चाहता, यह शिक्षा विभाग जाने। लेकिन पंचायतीराज के जो अधिकार हैं, उन्हें छीना नहीं जा सकता। - भरतसिंह, पंचायतीराज मंत्री
जिस सूची को कोर्ट की अनुपालना में निरस्त किया गया वह ब्लॉक शिक्षाधिकारी के हस्ताक्षरों से प्रभावी नहीं की जा सकती। पूरे प्रदेश के नियमों का ख्याल नहीं रखा गया तो नए शिक्षा सत्र की स्थिति पूरी तरह बिगड़ जाएगी। - कालीचरण सराफ, पूर्व शिक्षामंत्री
समानीकरण, एकीकरण में अनियमिताओं से शिक्षण व्यवस्था गड़बड़ा गई है। अब विभाग को पंचायतराज नियमों के तहत ही कदम उठाना चाहिए, नहीं तो स्थिति और बिगड़ जाएगी। - वासुदेव देवनानी, पूर्व शिक्षाराज्यमंत्री (Dainik Bhaskar,Jaipur,25.7.2010)
पंचायतीराज नियमों का हवाला देते हुए इन प्रधानों ने कहा है कि स्थायी समिति तथा प्रधान के अनुमोदन से ही सूचियां जारी होंगी। यदि सीधे ब्लॉक शिक्षाधिकारियों के माध्यम से सूचियां जारी करवाई गईं तो वे अदालत में जाएंगे। प्रधानों का कहना है कि तबादलों के मामले में उनकी राय नहीं लेने की कीमत विभाग पहले ही भुगत रहा है। शिक्षामंत्री मास्टर भंवरलाल के निरस्त सूचियों को ब्लॉक शिक्षाधिकारियों के मार्फत जारी करवाने की बात पर प्रधान अपने अधिकारों को लेकर खुलकर मैदान में आ गए हैं।
पंचायतीराज नियम 89 की उपधारा 8 ए के तहत पंचायत समिति की स्थायी समिति और प्रधानों के अनुमोदन के बाद ही तबादला आदेश जारी किए जा सकते हैं। राजस्थान पंचायतीराज कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष मूलचंद गुर्जर और प्रवक्ता नारायणसिंह ने कहा है कि शिक्षा विभाग की गलती से राज्य के 12 हजार शिक्षक परिवारों के साथ ही स्कूल एवं लाखों बच्चे प्रभावित हो रहे हैं।
यह प्रक्रिया पंचायतीराज कानून के तहत पूरी होनी चाहिए। ऐसा नहीं होने पर रिलीव नहीं हुए शिक्षकों को ज्वॉइन ही नहीं करने दिया जाएगा। राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के महामंत्री महावीर सिहाग ने शिक्षामंत्री के बयान को शर्मनाक बताते हुए मांग की है कि सभी सूचियां प्रधानों के अनुमोदन के बाद ही जारी होनी चाहिए।
नियमों में यह है प्रावधान
पंचायतीराज नियमों के तहत एक स्कूल से दूसरे स्कूल में ब्लॉक के अंदर विकास अधिकारी व प्रधान के साथ पंचायत समिति की स्थायी समिति के अनुमोदन के बाद ही तबादला आदेश जारी हो सकते हैं। एक जिले में एक पंचायत समिति से दूसरी पंचायत समिति में तबादले के लिए दोनों प्रधानों व विकास अधिकारियों की सहमति के साथ जिला परिषद की स्थायी समिति का अनुमोदन और जिला प्रमुख की सहमति के साथ ही मुख्य कार्यकारी अधिकारी तबादला आदेश जारी किया जा सकता है। एक से दूसरे जिले की पंचायत समितियों में शिक्षक तबादले दोनों जिलों की पंचायत समितियों के प्रधान व विकास अधिकारी की सहमति के बाद निदेशालय पंचायतीराज विभाग के आदेश जारी किए जाते हैं।
प्रधान बोले
मनमर्जी नहीं चलने देंगे। पहली गलती पर कोर्ट ने आदेश निरस्त किए, यदि अब हमारे अधिकारों को ओवररूल किया तो हम कोर्ट में जाएंगे। ब्लॉक शिक्षाधिकारियों की मार्फत जारी होने वाली सूची हमारे अनुमोदन के बाद ही जारी होंगी। - सुशील कुमार ओसवाल, प्रधान मावली
पंचायतीराज शिक्षकों की तबादला सूचियां प्रधान की टेबल से होकर ही गुजरेंगी। यदि शिक्षकों को लगाने का अधिकार ही नहीं रहेगा तो पंचायत समिति का काम ही क्या रह जाएगा। - मोहम्मद उस्मान खान, प्रधान धोद
पंचायतराज के शिक्षकों के तबादले प्रधान की अनुशंसा पर होने चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो प्रदेशस्तर पर इसका विरोध किया जाएगा। - जुगल किशोर, प्रधान, बस्सी
अधिकार छीने नहीं जा सकते
समानीकरण एवं तबादलों पर मैं कुछ नहीं कहना चाहता, यह शिक्षा विभाग जाने। लेकिन पंचायतीराज के जो अधिकार हैं, उन्हें छीना नहीं जा सकता। - भरतसिंह, पंचायतीराज मंत्री
जिस सूची को कोर्ट की अनुपालना में निरस्त किया गया वह ब्लॉक शिक्षाधिकारी के हस्ताक्षरों से प्रभावी नहीं की जा सकती। पूरे प्रदेश के नियमों का ख्याल नहीं रखा गया तो नए शिक्षा सत्र की स्थिति पूरी तरह बिगड़ जाएगी। - कालीचरण सराफ, पूर्व शिक्षामंत्री
समानीकरण, एकीकरण में अनियमिताओं से शिक्षण व्यवस्था गड़बड़ा गई है। अब विभाग को पंचायतराज नियमों के तहत ही कदम उठाना चाहिए, नहीं तो स्थिति और बिगड़ जाएगी। - वासुदेव देवनानी, पूर्व शिक्षाराज्यमंत्री (Dainik Bhaskar,Jaipur,25.7.2010)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।