मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

05 अगस्त 2010

गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में 12 वीं पास को एमएससी में दाखिला

12वीं के बाद डिस्टेंस एजूकेशन से बीए मॉस कम्यूनिकेशन में दाखिला लेने पहुंचे एक छात्र को जीजेयू ने एमएससी के इंट्रेंस में बैठा दिया। इससे अनजान छात्र ने परीक्षा भी दे दी। मजेदार बात यह है कि वह पास भी हो गया।

यूनिवर्सिटी ने तो दाखिला दे ही दिया और कह दिया कि जाओ और फीस भर दो। इस पर छात्र ने कहा कि उसे जो फार्म दिया गया है उस पर बीए की बजाय एमएससी लिखा है और उसे एमएससी में नहीं बीए में दाखिला लेना है। हुआ यूं कि बीए मॉस कम्यूनिकेशन कोर्स करने के इच्छुक भिवानी निवासी आवेदक अमित कुमार ने गलती से रेग्युलर कोर्स का फॉर्म खरीद लिया। विवि में डिस्टेंस एजूकेशन के आवेदन पत्र एडमिस्ट्रेशन ब्लॉक में जमा होते हैं। मगर छात्र ने 12वीं के दस्तावेजों के साथ बीए लिखकर फॉर्म गलती से मॉस कॉम डिपार्टमेंट में जमा करा दिया।

विवि ने भी उसकी गलती में कंधा से कंधा मिला कर आगे की कार्रवाई आंख मूंदकर पूरी कर डाली। विभाग ने न सिर्फ फॉर्म जमा कर लिया, बल्कि छात्र को एमएससी की प्रवेश परीक्षा के लिए रोल नंबर भी एलॉट कर दिया। छात्र ने 5 जुलाई को परीक्षा दी और 33वां रैंक लेकर पास हो गया।

अमित ने बताया कि जब उसने दाखिले के लिए विभाग में संपर्क किया तो उससे कहा गया कि 14 जुलाई को पहली काउंसिलिंग में आए। उसे भिवानी से आना था। किन्हीं कारणों से वह लेट हो गया और जब वह विभाग में पहुंचा तो पहली काउंसिलिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। विभागीय अधिकारियों ने उसे यह कहते हुए दूसरी काउंसिलिंग में आने को कहा कि वह आरक्षित कोटे का आवेदक है और 33वीं रैंक के साथ उसका दाखिला निश्चित है। बहरहाल, जब वह 21 जुलाई को दूसरी काउंसिलिंग में पहुंचा तो विभागीय अधिकारियों ने उसे एमएससी में दाखिले के लिए जरूरी फीस भरने को कहा। इस पर उसने कहा कि उसे तो बीए में दाखिला लेना है। तब उसे बताया गया कि उनके यहां बीए नहीं होता, बीए डिस्टेंस एजुकेशन में होता है।

उसने शिकायत की कि जब दाखिला नहीं देना था तो इस पूरी कवायद में उसका समय और पैसा क्यों खर्च करवाया। इस पर विभाग ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। छात्र सीधा वीसी ऑफिस पहुंचा और मामले की लिखित शिकायत की। छात्र की मांग थी कि उसे इसी फॉर्म के खर्चे पर डिस्टेंस एजूकेशन में दाखिला दिया जाए। इस पर कुलपति के पीए ने शिकायत दर्ज कर ली और कहा कि शिकायत विवि प्रशासन को फॉरवर्ड कर दी जाएगी।

अमित ने बताया कि उसे शिकायत नंबर देकर कहा गया कि अपना नंबर दे जाओ जब मामले की सुनवाई होगी तो कॉल करके बुला लिया जाएगा। मगर दो हफ्ते बाद भी मामले की कोई खबर नहीं ली गई। इस मामले से विवि प्रशासन की पारदर्शिता और गंभीरता के तमाम दावों पर सवालिया निशान लगता है। विश्वविद्यालय में किसी भी आवेदक को प्रवेश परीक्षा दिलाने से पहले उसके आवेदन पत्र और दस्तावेजों को कई बार ठीक से जांचा जाता है। मगर इस मामले दस्तावेजों को एक बार भी जांचने का जोखिम नहीं उठाया गया।

रजिस्ट्रार ने भी लगाया ठहाका

इस मामले में यूनिवर्सिटी के कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक प्रो. आरएस जागलान से बातचीत की गई तो उन्होंने ठहाका लगाते हुए कहा कि फिलहाल ऐसा कोई मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। अगर ऐसी कोई शिकायत आती है तो उक्त आवेदक के पक्ष में फैसला किया जाएगा(विकास गुप्ता,दैनिक भास्कर,हिसार,5.8.2010)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।