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08 अगस्त 2010

बिहार इंटरमीडिएट शिक्षा परिषद् -13 साल बाद भी सर्टिफिकेट नही

इंजीनियर बनने की ख्वाइश लिए शिवकुमार नेपाल से इंटर की पढ़ाई करने बिहार आया था, लेकिन काउंसिल के फेर में ऐसा फंसा कि इंटर पास होने का प्रमाणपत्र तो नहीं मिला फर्जी सर्टिफिकेट बनाने के मामले में जरूर फंस गया। पिछले 13 बरसों से शिवकुमार अदालतों के चक्कर काट रहा है। नेपाल के जनकपुर निवासी शिव कुमार इंटर की पढ़ाई करने बिहार आया। 1992-94 सत्र में उसने मधेपुरा इंटर कालेज से आईएससी की परीक्षा पास की और 1994 में हरियाणा के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कालेज में दाखिला लिया। दो सेमेस्टर की पढ़ाई के बाद उसका शैक्षिक प्रमाणपत्र वेरीफिकेशन के लिए बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल आया। इंटरमीडिएट के बाबुओं ने चढ़ावा मांगा शिव कुमार तैयार नहीं हुआ। इस पर उसे परेशान किया जाने लगा। तंग आकर शिवकुमार ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रिजल्ट दिलाने की फरियाद की। दो साल केस चलने के बाद याद आया कि मामला पटना हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार का है। 1999 में मामला पटना पहुंच गया। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने कहा,अब रिजल्ट लेने से क्या फायदा, बेहतर होगा 20-25 लाख रुपया क्षतिपूर्ति ले लो, पर शिव कुमार तैयार नहीं हुआ। पीठ ने मामले को मेरिट नहीं रहने के आधार पर खारिज कर दिया। उसने एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी। मामला बढ़ता देख काउंसिल ने 7 अक्टूबर 2006 में एफआईआर दर्ज करा दी, जिसमें आरोप लगाया गया कि काउंसिल के कुछ कर्मी एवं बाहरी लोग फर्जी डिग्री के कारोबार में लगे हैं। शिव कुमार को भी अभियुक्त बना दिया गया। बाद में यह मामला सतर्कता विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया। विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 92-94 के बैच से मधेपुरा इंटर कालेज से आईएससी करने वाला शिव कुमार नहीं शैलेश कुमार मंडल था। मंडल की तहकीकात की गयी, तो पता चला कि उसने कभी इंटर की पढ़ाई की ही नहीं। विजिलेंस ने एक दूसरे लड़के की भी तलाश कर ली, जिसका नाम भुमनेश भक्त था। विजिलेंस के 300 पन्नों की जांच से अभी तक यह नहीं सिद्ध हो पाया कि भुमनेश का आखिर ठौर-ठिकाना क्या है। पिछले साल पटना हाई कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने विजिलेंस को इस वर्ष के अप्रैल तक सही तथ्यों का पता लगाकर याचिकाकर्ता को अंकपत्र दिलवाने का आदेश दिया। सार्टिफिकेट तो नहीं मिला धोखाधड़ी का मामला दर्ज हो गया। निचली अदालत से जमानत नहीं मिली। बाद में हाई कोर्ट से उसे 23 मार्च 2010 को अग्रिम जमानत मिली। हालांकि रिजल्ट का मामला अभी तक पटना विजिलेंस कोर्ट में लंबित है। अब शिव कुमार रिजल्ट लेने के मामले के साथ आपराधिक मामलों से भी लड़ रहा है(निर्भय सिंह,दैनिक जागरण,पटना,8.8.2010)।

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