मानव संसाधन विकास विभाग ने विश्वविद्यालयों एवं कालेज शिक्षकों को यूजीसी का पुनरीक्षित वेतनमान दिये जाने से संबंधित अपने 29 जुलाई के संकल्प में संशोधन किया है। इसके साथ ही रीडरों एवं प्रोफेसरों के पदनाम, वेतनबैंड तथा एजीपी (एकेडमिक ग्रेड पे) में भी सुधार किया गया है। इस बारे में शुक्रवार को सचिव के.के.पाठक के हवाले संकल्प जारी किया गया। संकल्प के अनुसार विभिन्न विश्वविद्यालयों में वर्ष 2003 में नियुक्त जिन 400 शिक्षकों की नियुक्ति डिग्री स्तरीय पदों पर बिना इंटर एवं डिग्री स्तर के पदों को अलग किये ही की गयी थी उन्हें भी अब आवश्यकता के अनुरूप डिग्री स्तरीय स्वीकृत एवं रिक्त पदों पर सामंजित किया जायेगा। उन्हें 1 जनवरी 2006 के प्रभाव से यूजीसी वेतनमान यह अंडरटेकिंग लेकर दिया जायेगा कि यदि किसी सक्षम प्राधिकार या न्यायालय द्वारा उनके चयन को अवैध घोषित किया जाता है तो उनकी नियुक्ति समाप्त कर दी जायेगी और वेतनादि के मद में प्राप्त राशि की उनसे वसूली कर ली जायेगी। पूर्व में विभाग ने उन्हें पुनरीक्षित वेतनमान न देने का निर्णय किया था। विभाग ने कंप्यूटर व मानवीय भूल के चलते उपाचार्य व विश्वविद्यालय प्राचार्य के पदनाम के वेतनबैंड, एजीपी तथा नये पदनाम में गड़बड़ी को मानते हुए उसे संशोधित किया है । संशोधन के बाद उपाचार्य/रीडर के एक के स्थान पर दो ग्रेड बने हैं। एक का नया पदनाम रीडर व दूसरे का एसोसिएट प्रोफेसर रखा गया है। दोनों का पुनरीक्षित वेतनमान व एजीपी भी अलग-अलग है। विश्वविद्यालय प्राचार्य के एजीपी में भी वृद्धि की गयी है(दैनिक जागरण,पटना,7.8.2010)।
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