बिलासपुर, रायपुर समेत देश के कई हिस्सों में एमबीए, बीई, एमई और एमसीए के सर्टिफिकेट बिक रहे हैं। महज ३क् से ५क् हजार रुपए में इन कोर्स के सर्टिफिकेट को खरीदा जा सकता है। कीमत खरीदने वालों की मोलभाव क्षमता पर निर्भर करती है।
गौरतलब है कि सर्टिफिकेट को खरीदने वालों में अधिकांश निजी क्षेत्र में कार्यरत युवा और लोग हैं, जिन्हें अपनी प्रोफाइल व प्रमोशन बढ़ाने के लिए इसकी जरूरत पड़ती है। कुछ तो इनके आधार पर न केवल नौकरी कर रहे हैं बल्कि प्रमोशन भी ले चुके हैं। पूरे मामले में हकीकत जानने के लिए भास्कर ने स्टिंग ऑपरेशन किया तो हकीकत सामने आई।
इसके तहत रायपुर और बिलासपुर के हमारे रिपोर्टर्स ने बेरोजगार युवक और निजी कंपनी का कर्मचारी बनकर एमबीए का सíटफिकेट खरीदने की बात कही। नेशनल इंस्टीटच्यूट ऑफ मैनजमेंट (एनआईएम) के नाम से बेचे जा रहे एमबीए के सर्टिफिकेट के लिए न तो आपको पढ़ने को जरूरत है और न ही परीक्षा की।
बस एक बार सौदा पट जाए तो सारी जिम्मेदारी इंस्टीटच्यूट खुद ले लेता है। मध्यप्रदेश में जहां इंदौर और भोपाल में इसकी शाखाएं हैं तो वहीं छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में इसकी मेन ब्रांच है जो फिलहाल बस स्टैंड स्थित गीता लॉज के सामने कॉम्प्लेक्स में संचालित हो रही है।
डीबी स्टार को यह भी पता चला है कि इसके अलावा राज्य के बाकी हिस्सों में भी चोरी-छिपे एनआईएम का नेटवर्क संचालित हो रहा है। रायपुर से जब रिपोर्टर ने एक बेरोजगार युवक बनकर बिलासपुर स्थित एनआईएम की एक्जीक्यूटिव प्रियंका से रिकॉर्डेड बात की तो उन्होंने सीधे ही 38 हजार रुपए में एमबीए करवा देने की बात कही। जब रिपोर्टर ने पूछा कि वह नियमित क्लास रूम में नहीं आ सकेगा तो प्रिंयका बोली- आप दस्तावेज लेकर दफ्तर में मिलिए तो सही, बाकी बातें भी तय कर लेंगे।
उधर इंस्टीटच्यूट के बिलासपुर स्थित दफ्तर में भी रिपोर्टर खुद पहुंचे। रिकॉर्डेड चर्चा में यहां पर प्रियंका शर्मा ३९ हजार रुपए में आसानी से एमबीए की डिग्री देने के लिए तैयार हो गईं। जब रिपोर्टर ने नेट परीक्षा की तैयारी में व्यस्त रहने के चलते क्लास रूम में न आ पाने की बात कही तो उन्होंने एग्जाम के पेपर ई-मेल करने और घर पर ही परीक्षा देने की सुविधा देने तक का आश्वासन भी दिया। डिग्री जल्दी देने की शर्त भी आसानी से मान ली।
स्टिंग ऑपरेशन
बिलासपुर के अलावा दैनिक भास्कर की टीम ने 4 अगस्त को रायपुर में भी स्टिंग ऑपरेशन कर एनआईएम की सच्चाई को उजागर किया। यह इंस्टीटच्यूट बस स्टैंड स्थित गीता लॉज के सामने कॉम्प्लेक्स में है। इंस्टीटच्यूट द्वारा दूरवर्ती पाठ्यक्रम चलाने की बात कही जाती है।
यहां से शहर के कई युवाओं ने रकम देकर एक महीने में ही एमबीए की डिग्री हासिल की है। संस्था के दफ्तर में पहुंचे भास्कर के रिपोर्टर ने नेट में एग्जाम का हवाला देते हुए एग्जाम के लिए वक्त न निकाल पाने की बात कही तो उसे एग्जाम के पेपर इर्-मेल करने और घर पर ही परीक्षा देने की सुविधा देने का आश्वासन दिया गया।
भोपाल ब्रांच से यहां ट्रांसफर होकर आए प्रभाकर ने खुद को इंस्टीटच्यूट का अधिकारी बताया और कहा कि वे अपने सीनियर से पूछकर मोबाइल पर जानकारी दे देंगे। इसके बाद चर्चा करने के लिए दफ्तर में बुलाया गया।
हजारों लोग हो चुके हैं शिकार
ऐसे फर्जी सर्टिफिकेट और डिग्रियों के लालच में हजारों लोग ठगी का शिकार हो चुके हैं। इन लोगों ने इंटरनेट पर इस ठगी के खिलाफ एक वेबसाइट भी बना दी, जिसमें उनकी आप बीती है। यहां तक कि गुजरात, मुंबई समेत कई अन्य राज्यों में ठगी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई हैं।
कहीं से कोई मान्यता नहीं डीबी स्टार की पड़ताल में यह बात भी सामने आई कि उक्त इंस्टीटच्यूट को एमबीए के सर्टिफिकेट देने के लिए यूजीसी, एआईसीटीइर् के अलावा डीईसी तक की मान्यता नहीं है। उक्त इंस्टीटच्यूट महाराष्ट्र में रजिस्टर्ड एक एनजीओ लोक सेवा फाउंडेशन चला रही है। जिसकी ब्रांच छत्तीगढ़ के बिलासपुर और मप्र के भोपाल, इंदौर सहित देश के कई हिस्सों में हैं। एनआईएम के नाम से बेचे जाने वाले फर्जी सर्टिफिकेट धंधे के असली चेहरे इंदौर के आशीष जैन और शशांक जैन हैं(लक्ष्मीनारायण विश,दैनिक भास्कर,बिलासपुर/रायपुर,6.8.2010)।
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