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06 अगस्त 2010

गुरू घासीदास विश्वविद्यालयःपीएचडी नहीं करा सकेंगे 87 शिक्षक

गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने 87 प्राध्यापकों को पीएचडी गाइड बनने के लिए अयोग्य घोषित किया है। ये सभी प्राध्यापक यूनिवर्सिटी से संबंद्ध कालेजों में कार्यरत है। यूनिवर्सिटी ने इसका कारण पीएचडी गाइड बनने के पहले पांच रिसर्च पेपर्स का प्रकाशन न होना बताया है।

गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एक हफ्ते पहले पीएचडी कराने के लिए योग्य व अयोग्य शिक्षकों की सूची जारी की गई थी। इसमें 61 शिक्षक योग्य व 87 शिक्षकों को अयोग्य घोषित किया गया है। इसमें ज्यादातर शिक्षकों को विगत पांच साल में पांच शोध-पत्र प्रकाशित नहीं करने पर पर अपात्र घोषित किया गया है।

सूची घोषित होने के बाद ऐसे प्राध्यापकों ने कुलपति से भेंट कर अपना पक्ष रखा, जिनके शोधपत्र प्रकाशित होने वाले हैं। इसपर कुलपति ने विकास विभाग के अधिकारियों से बातचीत की। इस दौरान विकास विभाग के अधिकारियों ने पांच रिसर्च पेपर के संबंध में सभी कालेजों के प्राचार्य को पत्र भेजने की जानकारी दी, जबकि यूनिवर्सिटी से इस तरह का पत्र किसी भी कालेज के प्राचार्य को नहीं भेजा गया है। इससे पहले कालेजों से प्रीपीएचडी में शामिल छात्रों को पीएचडी कराने के लिए गाइडों की संख्या व वर्तमान में उनके मार्गदर्शन में शोध कर रहे विद्यार्थियों की संख्या पूछी गई थी।

यूनिवर्सिटी के कुछ अधिकारियों की इस तरह की लापरवाही के कारण कई कालेजों के शिक्षक अपात्र घोषित कर दिए गए हैं। बताया गया कि संबद्ध कालेजों में कई शिक्षक ऐसे हैं, जिनके 3 या 4 शोध पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। प्राध्यापकों का कहना है कि इस बात की जानकारी पहले होने से वे भी शोधपत्र प्रकाशित करने की दिशा में प्रयास करते।

जिन्हे पता था उन्होंने छपवा लिए

इस मामले में प्राध्यापकों ने आरोप लगाया है कि इस नियम की जानकारी कुछ प्राध्यापकों को पहले से थी, इस बात का फासदा उठाकर उन्होंने समय रहते कुछ जर्नल में अपने शोधपत्रों का प्रकाशन करा लिया, वहीं इस बात से अनभिज्ञ प्राध्यापक पहले से शोध कर रहे छात्रों के मार्गदश्रन में ही व्यस्त रहे और शोधपत्र प्रकाशित नहीं होने के कारण गाइड बनने से रह गए।

पांच पेपर पर आधारित गाइड

बताया गया कि 2006 के बाद यूनिवर्सिटी के अंतर्गत शोध कराने वाले कई शिक्षकांे के पांच शोध-पत्र यूनिवर्सिटी में जमा हैं। ऐसे शिक्षकों को भी यूनिवर्सिटी
प्रबंधन ने पीएचडी गाइड के लिए अपात्र घोषित कर दिया है।

पांच रिसर्च पेपर का प्रकाशन शोध गाइड के लिए जरूरी है। ऐसा कोई पत्र यूनिवर्सिटी ने नहीं भेजा गया। बस गाइड की संख्या पूछी गई थी। - बीएल गोयल, प्राचार्य पं. जेपी वर्मा कालेज जरहाभाठा
यूनिवर्सिटी से पत्र भेजकर गाइडों की संख्या व उनके अंदर शोध कार्य करने वाले छात्रों की संख्या मांगी गई थी। पांच रिसर्च पेपर के प्रकाशन जरूरी है। इस संबंध में कोई पत्र यूनिवर्सिटी ने नहीं भेजा है। - डा. पीके तिवारी, प्राचार्य डीपी विप्र कालेज(दैनिक भास्कर,बिलासपुर,6.8.2010)

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