मान्यता प्राप्त निजी स्कूल आरटीआई के तहत शिक्षा निदेशालय से जानकारी देने से छूट का दावा नहीं कर सकते। सीआईसी की पूर्ण पीठ ने अपने फैसला में यह बात कही है। पीठ ने ऐसा एक तरह से उन्हें इस पारदर्शिता कानून के दायरे में लाने के लिए किया है। पीठ ने अपने आदेश में कहा, विद्यालय प्रबंधन और संचालन से संबंधित मुद्दे शिक्षा के विकास के लिए इतने महत्वपूर्ण हैं कि उन्हें निजी संस्थाओं की मर्जी पर ऐसे ही नहीं छोड़ सकते। भले ही सरकार से ऐसे विद्यालयों को मदद मिलती हो या नहीं। आयोग ने एक निजी विद्यालय में नियुक्त एक अध्यापिका को नौकरी का रिकार्ड दिखाने का आदेश सुनाते हुए यह टिप्पणी की। राजधानी स्थित स्कूल की शिक्षिका बिंदु खन्ना ने आरटीआई के तहत शिक्षा निदेशालय के पास याचिका दायर कर अपनी नौकरी के रिकॉर्ड के बारे में जानना चाहा था। निदेशालय से कई बार आदेश दिए जाने के बावजूद स्कूल ने कहा कि वह एक निजी संस्थान है अत: यह कानून उस पर लागू नहीं होता। आयोग ने कहा कि दिल्ली विद्यालय शिक्षा कानून कहता है कि निजी स्कूल के सभी रिकार्ड निदेशक द्वारा अधिकृत अधिकारी द्वारा किसी भी समय जांच के लिए खुले हैं। शिक्षा विभाग को विद्यालयों द्वारा जो रिकार्ड उपलब्ध कराए जाते हैं उनके बारे में आरटीआई आवेदनकर्ता जान सकता है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,5.8.2010)।
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