मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

06 अगस्त 2010

रेवाड़ीःअब स्वास्थ्य भी शिक्षकों के जिम्मे

सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की पढ़ाई के साथ स्वास्थ्य की भी देखभाल करने की जिम्मेवारी अब शिक्षकों पर रहेगी। कोई विद्यार्थी बीमार है तो उसका उपचार भी शिक्षक ही करेंगे। अब जिले के सभी सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रशिक्षण दिया जाएगा। राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं में जहां यह योजना आरंभ हो चुकी है वहीं मिडल और हाई स्कूलों में शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षित शिक्षक अपने स्कूलों के विद्यार्थियों के स्वास्थ्य की समय समय पर जांच कर उन्हें दवा देकर उपचार करेंगे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से शिक्षकों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 15 अगस्त से पहले मिडल और हाई स्कूलों में प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। पिछले साल प्राथमिक स्कूलों में आरंभ हुई योजना के तहत सभी स्कूलों के कम से कम दो शिक्षकों को यह प्रशिक्षण दिया गया था।

क्या है योजना

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को तंदुरुस्त और स्वस्थ रखने के लिए चिकित्सा जांच शिविर लगाए जाते हैं। स्कूलों में अधिकांश समय विद्यार्थियों के पास शिक्षक होते हैं। इसके अलावा पिछले साल विभिन्न संगठनों की ओर से स्कूलों में लगाए गए स्वास्थ्य जांच शिविर में अधिकांश विद्यार्थियों में एनीमिया, नजर कमजोर और दंत रोग के मामले पाए गए। इससे उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर प्रतिकूल पड़ रहा था। इसलिए बीमारी और अस्वस्थता के कारण किसी विद्यार्थी की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो, इसके लिए सरकार की ओर से यह योजना चलाई गई। इसके तहत स्कूलों के विद्यार्थियों का गांव के समीपवर्ती स्थित स्वास्थ्य केंद्रों में समय समय पर जांच करने की भी व्यवस्था की गई थी लेकिन अधिकांश स्कूलों में यह शिक्षकों के प्रशिक्षण तक ही सिमट कर रह गया।

शिक्षकों को मिला फायदा

शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के बाद स्कूल में आने वाले विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के बारे में पर्याप्त जानकारी मिल जाती है। इससे जब कोई विद्यार्थी बीमार हो तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाने के बजाय प्राथमिक उपचार किया जा सकता है। किस बीमारी के लिए मरीज को दवा की कितनी मात्रा दी जाए इसकी जानकारी शिक्षकों को दी गई।

नहीं मिली दवा

राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रधान विजय सिंह का कहना है कि हालांकि यह शिक्षकों को प्रशिक्षण तो दिया गया लेकिन स्कूलों विशेष ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए समय समय पर खंडस्तर और स्कूल स्तर पर स्वास्थ्य जांच शिविर लगाते रहने चाहिए ताकि प्रत्येक विद्यार्थी को इसका लाभ मिल सके। पिछली बार कुछ ही स्कूलों में स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए गए लेकिन सभी स्कूलों में यह कराया जाना चाहिए था। शिक्षक तो केवल प्राथमिक उपचार ही कर सकता है। इसमें पेट दर्द होने पर दवा देना, सामान्य चोट लगने पर मरहम पट्टी आदि तो कर सकता है लेकिन खून की कमी जांचना, नजर कमजोर होने, चर्म रोग जैसी बीमारियों के लिए तो विशेषज्ञों को ही ध्यान देना होगा(दैनिक भास्कर,रेवाड़ी,6.8.2010)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।