बम्बई हाईकोर्ट की ग्राहक अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि अगर कोई छात्र किसी ट्यूशन क्लास में प्रवेश लेता है और किसी कारण वश वह क्लास नहीं जा पाता तो छात्र को पूरी फीस वापस दी जानी चाहिए। अदालत के इस फैसले से देश भर के उन छात्रों को राहत मिली है जो ट्यूशन क्लास में प्रवेश तो ले लेते हैं लेकिन किसी कारण से वहां जा नहीं जा पाते। लेकिन अब उनकी फीस के वापस मिलने का रास्ता खुल गया है।
ऐसा देखने में आता है कि कई छात्र, ट्यूशन क्लास का नाम सुन कर भारी भरकम फीस अदा कर प्रवेश तो ले लेते हैं, लेकिन क्लास में जाने के पहले ही उन्हें इसकी असलियत का पता चलने पर वे वहां नहीं जाना चाहते, लेकिन उन्हें मजबूरी में जाना प़ड़ता है क्योंकि ट्यूशन प्रबंधन, फीस वापस नहीं करता। ै। २००८ में कनिष्क नाम के एक छात्र ने मुंबई के एक कोचिंग क्लास में प्रवेश लिया था। बीमारी की वजह से वह एक भी दिन कक्षा में नहीं जा पाया । ट्यूशन न लेने की वजह से उसने प्रबंधन से फीस वापस देने के लिए कहा, लेकिन प्रबंधन ने मना कर दिया। इसके बाद छात्र ने ग्राहक अदालत में याचिकादायर कर फीस वापस देने की मांग की । इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि जिसकी सेवा दी ही नहीं गई उसके बदले में पैसा लेना उचित नहीं है। छात्र क्लास में जा ही नहीं पाया था इसलिए उसे फीस वापस करनी चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि अगर छात्र उचित शिक्षा न मिलने के कारण क्लास छो़ड़ना चाहता है तो भी उसे फीस वापस देनी चाहिए। अदालत के इस फैसले से उन छात्रों को राहत मिली है जो एक क्लास छो़ड़ कर दूसरे में प्रवेश लेना चाहते हैं। अगर कोई टूयूशन प्रदाता प्रबंधन फीस वापस नहीं करता तो छात्र ग्राहक अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है(चंद्रकांत शिंदे,नई दुनिया,दिल्ली,7.8.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।