कुछ साल पहले तक डीयू के ईवनिंग कॉलेजों में वहीं स्टूडेंट एडमिशन लेते थे, जिन्हें मॉर्निंग कॉलेजों में मौका नहीं मिल पाता था। इनका रिजल्ट मॉर्निंग कॉलेजों के मुकाबले काफी खराब रहता था, लेकिन अब यह ट्रेंड पूरी तरह से बदल चुका है। इस बार एडमिशन ही नहीं रिजल्ट के मामले में ईवनिंग कॉलेजों ने मॉर्निंग कॉलेजों को कड़ी टक्कर दी है।
दयाल सिंह (ईवनिंग) कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दीपक मल्होत्रा कहते हैं पांच साल पहले तक ईवनिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स की सबसे ज्यादा थर्ड डिविजन आती थी। सेकंड और फर्स्ट डिविजनर काफी कम होते थे, मगर अब ऐसा नहीं है। उन्होंने बताया कि इस बार उनके कॉलेज में बीकॉम फाइनल ईयर के 21 स्टूडेंट्स की फर्स्ट डिविजन आई है। पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स में तीन की और इंग्लिश ऑनर्स में चार स्टूडेंट्स की फर्स्ट डिविजन आई है। बीकॉम ऑनर्स और दूसरे ऑनर्स कोर्सेज में भी इसी तरह का ट्रेंड है, जबकि ऑनर्स कोर्सेज में फर्स्ट डिविजन लाना मॉर्निंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स के लिए भी काफी मुश्किल होता है। यह बदलाव ईवनिंग कॉलेज के स्टूडेंट्स की पढ़ाई में दिलचस्पी को दर्शाता है(नवभारत टाइम्स,6.8.2010)।
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