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06 अगस्त 2010

बैंक परीक्षा में डिस्क्रिप्टिव इंग्लिश

बैंकों में आई बहाली की बहार के कारण छात्र-छात्राएं जी-जान से बैंकिंग परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हुए हैं। लक्ष्य है कि किसी भी तरह से इस बार बैंक में नौकरी प्राप्त कर लेनी है।

बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर की परीक्षा की तैयारी जब स्टूडेंट शुरू करते हैं तो उनके दिमाग में लक्ष्य पर सिर्फ मुख्य पेपर के विषय ही रहते हैं। वे सवा दो घंटे के लिए होने वाले करेंट अफेयर्स, गणित और रीजनिंग के ऑब्जेक्‍टिव पेपर की तैयारी को लक्ष्य में रखते हैं पर एक घंटे के लिए होने वाली डिस्क्रिप्टिव इंग्लिश की परीक्षा को भूल जाते हैं। ऐसा करने की भूल कई छात्र-छात्राओं को भारी पड़ी है। ऐसे ही एक छात्र जितेंद्र कुमार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। मुख्य पेपर में अच्छा करने के बावजूद जितेंद्र कुमार का इलाहाबाद बैंक पीओ में इंटरव्यू के लिए बुलावा नहीं आया। जितेंद्र ने सूचना के अधिकार के तहत इसकी जानकारी (रेफरेंस-एचओ/आरटीआई 597, 09-07-2010) मांगी तो पता चला कि डिस्क्रिप्टिव इंग्लिश में सिर्फ 15 नंबर लाने के कारण उन्हें डिस्क्वालिफाई कर दिया गया। आरटीआई से दी गई जानकारी के अनुसार जितेंद्र ने 300 नंबर के मुख्य परीक्षा में 186 अंक प्राप्त किया। जबकि इस पेपर में कटऑफ 177 गया था। आरटीआई द्वारा प्राप्त की गई जानकारी में भी यह भी बताया गया कि डिस्क्रिप्टिव इंग्लिश में जनरल के 20, ओबीसी के 18 और एससी-एसटी के लिए 15 क्वालीफाइंग मार्क्स रखा गया था। बीएससी क्लासरूम कोचिंग के निदेशक दुर्गेश कुमार ने बताया कि आमतौर पर स्टूडेंट डिस्क्रिप्टिव इंग्लिश के पेपर को नजरअंदाज कर देते हैं। लोग यह समझते हैं कि इस पेपर के लिए तैयारी जरूरी है और लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। ऐसे कई छात्र-छात्राओं के उदाहरण ने जिन्होंने मुख्य पेपर में अच्छा किया, लेकिन डिस्क्रिप्टिव पेपर में खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें इंटरव्यू के लिए कॉल नहीं किया गया।

क्या होता है डिस्क्रिप्टिव इंग्लिश में
बैंकिंग पीओ की सभी परीक्षाओं में डिस्क्रिप्टिव इंग्लिश का पेपर होता है। 50 नंबर के लिए होने वाले इस पेपर के लिए एक घंटे का समय दिया जाता है। इस पेपर के जरिए अभ्यर्थी के अंग्रेजी विषय के ज्ञान को आंका जाता है। इसमें तीन तरह के सवाल होते हैं, जिसमें 20 नंबर का लेटर या अप्लीकेशन राइटिंग, 20 नंबर का लेख और 10 नंबर का प्रेसिस राइटिंग लिखना होता है। आमतौर पर इस पार्ट को स्टूडेंट गंभीरता से नहीं लेते हैं। कई कोचिंग संस्थान भी इस पार्ट की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। पर पीओ की परीक्षा में इसमें ना सिर्फ क्वालीफाइंग मार्क्स लाना होता है बल्कि इसके नंबर भी लिखित परीक्षा के परिणाम में जोड़े जाते हैं(हिंदुस्तान,पटना,5.8.2010)।

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