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06 अगस्त 2010

आईपी यूनिवर्सिटी: बीटेक में रेकॉर्ड फर्जीवाड़ा

गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ ( आईपी ) यूनिवर्सिटी में इस बार बी . टेक कोर्स में फर्जी कैंडिडेट्स का रेकॉर्ड नंबर सामने आया है। अभी तक 50 से अधिक फर्जी कैंडिडेट यूनिवर्सिटी की पकड़ में आ चुके हैं और काउंसलिंग प्रोसेस अभी भी चल रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए यूनिवर्सिटी ने एक हाई लेवल जांच कमिटी बनाई है , जो फर्जी एडमिशन रैकेट की तह तक जाने की कोशिश करेगी।

यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो . दिलीप के . बंद्योपाध्याय ने बताया कि कमिटी में यूनिवर्सिटी के अलावा बाहर के भी मेंबर शामिल किए गए हैं। यह कमिटी देखेगी कि किस लेवल पर यह फर्जीवाड़ा हो रहा है। कमिटी में पांच मेंबर हैं। प्रो . बंद्योपाध्याय के मुताबिक कमिटी को हर लेवल पर जांच करने को कहा गया है।

उनका कहना है कि वैसे तो यूनिवर्सिटी का कोई व्यक्ति इस रैकेट में शामिल नहीं है , लेकिन अगर कमिटी की जांच में यूनिवर्सिटी के किसी मेंबर का नाम सामने आता है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। बी . टेक की काउंसलिंग के दौरान अब तक पकड़े गए फर्जी कैंडिडेट्स ने दलालों के जरिए अपना एंटें्रस टेस्ट क्लिअर करवाया था। सूत्रों का कहना है कि इस बार तीन लेवल पर स्टूडेंट्स के डॉक्युमेंट चेक किए जा रहे हैं , ताकि कोई फर्जी कैंडिडेट एडमिशन न ले पाए। अगर किसी कैंडिडेट ने फर्जी तरीके से एडमिशन ले भी लिया है तो सेकंड फेज में भी डॉक्युमेंटरी वेरिफिकेशन होगी। यानी एडमिशन के बाद भी डॉक्युमेंट एक बार फिर चेक होंगे और उस समय जो पकड़ा जाएगा उसका एडमिशन उसी समय कैंसल होगा ही पुलिस केस भी होगा।

जितने भी कैंडिडेट पकड़े गए हैं उनकी ओएमआर शीट पर अलग कैंडिडेट की तस्वीर थी और एडमिशन लेने कोई और आया था। खास बात यह है कि इस बार एंट्रेंस टेस्ट में किसी दूसरे को बिठाने के लिए कैंडिडेट्स ने डेढ़ से ढाई लाख रुपये तक खर्च किए हैं। किसी ने गांव की जमीन बेची तो किसी ने जमा पूंजी दांव पर लगा दी है। यूनिवर्सिटी के जानकारों का कहना है कि पिछले दो सालों से पकड़ में आने वाले फर्जी कैंडिडेट्स की संख्या बढ़ी है , मगर इस फर्जीवाड़े के चलते एडमिशन प्रोसेस पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार जांच कमिटी उन सेंटरों की भूमिका को भी देखेगी जहां से सबसे अधिक शिकायतें आई हैं। मसलन कोलकाता के सेंटरों पर सबसे अधिक फर्जी कैंडिडेट रजिस्टर हुए थे। जितने भी सेंटरों से कंप्लेंट आई हैं वे सब संदेह के घेरे में हैं।

गौरतलब कि 2003 में भी सीएम ऑफिस के पास फर्जी एडमिशन की काफी कंप्लेंट पहुंची थी। उसके बाद यूनिवर्सिटी के तत्कालीन रजिस्ट्रार ने फुल प्रूफ मेथड अपनाने का निर्देश दिया था(भूपेंद्र,नभाटा,5.8.2010)।

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