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07 अगस्त 2010

अधर में लटकीं उत्तर प्रदेश के डिग्री लेक्चरर की नियुक्तियां

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2007 की डिग्री कालेज लेक्चर भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी किया है। कुछ उम्मीदवारों ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। याचिका में चयन प्रक्रिया को नियमों में बदलाव के आधार पर चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने नोटिस जारी करते हुए स्पष्ट किया कि जो नियुक्तियां हुई हैं, वे इस याचिका के अंतिम फैसले के अधीन होंगी। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार व उत्तर प्रदेश हायर एजूकेशन कमीशन व अन्य को आठ सप्ताह में याचिका का जवाब देने का निर्देश दिया है। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील राजकुमार गुप्ता ने कहा कि सफल उम्मीदवारों की चयन सूची केवल शैक्षणिक रिकार्ड के आधार पर तैयार होनी चाहिए, उसमें अनुभव को आधार नहीं माना जाना चाहिए। उनकी दलील थी कि विज्ञापन और आयोग के चयन नियमों में सिर्फ शैक्षणिक रिकार्ड को ही आधार माना गया है। लेकिन आयोग ने नियमों के विपरीत शैक्षणिक के साथ अनुभव को भी चयन का आधार बनाया है। उनका कहना था कि इस बदलाव के कारण उच्च शैक्षणिक योग्यता रखने वाले उम्मीदवारों को साक्षात्कार में नहीं बुलाया गया, जबकि उनसे कम शैक्षणिक योग्यता रखने वाले उम्मीदवारों को अनुभव के आधार पर चयनित कर लिया गया। याचिका में यह भी कहा गया है कि अनुभव को चयन मानक माने जाने के निर्धारण के लिए हाईकोर्ट में तीन न्यायाधीशों की पूर्ण पीठ गठित हुई थी, जिसने अनुभव के आधार पर चयन को गलत ठहराया था और अनुभव के आधार पर हुई नियुक्तियों को भी अवैध करार दिया था। पूर्ण पीठ की राय के बाद जब यह मामला वापस दो न्यायाधीशों के पास निपटारे के लिए आया तो उन्होंने पूर्ण पीठ के फैसले की व्याख्या करते हुए कहा कि उसमें चयन को गलत नहीं ठहराया गया है और याचिका खारिज कर दी। गुप्ता का कहना था कि आयोग के नियम 3 और 6 में जो चयन के आधार दिए गए हैं उसमें अनुभव का कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने कोर्ट से चयन प्रक्रिया रद करने की मांग की और नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया।(दैनिक जागरण,मेरठ,7.8.2010)।

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