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07 अगस्त 2010

दिल्ली की अदालत में विकलांग बच्चों की मां को दो बरस की छुट्टी

दिल्ली की अदालतों में कार्यरत महिलाक र्मियों को केन्द्र सरकार से राहत भरा पैगाम मिला है । सरकार ने विकलांग बच्चों की देखभाल के लिए महिला कर्मचारियों को अधिकतम दो वर्ष तक का अवकाश देने की व्यवस्था की है । केन्द्र के कार्मिक , जनशिकायत व पेंशन(कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) मंत्रालय की अनुशंसा पर डिस्ट्रिक्ट एवं सेशन जज की तरफ से सरकुलर जारी कर संबंधित विभागों को इस बाबत सूचित कर दिया गया है। दरअसल महिला क र्मचारियों को पहले से ही बच्चों की देखभाल के लिए अतिरिक्त अवकाश दिए जाने का प्रावधान रहा है । लेकिन महिला क र्मचारियों के हिसाब से यह अवधि उनके लिए नाकाफी थी। विशेषकर जिन महिला कर्मचारियों के कंधों पर अपने विकलांग बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी है । मंत्रालय ने इन्ही मसलों पर विचार करते हुए अवकाश अवधि 730 दिन की तय की है,हालांक साथ ही कु छ शर्ते भी लागू की गई हैं जिनको पूरा करने के बाद ही महिला कर्मचारी इन अवकाश दिवस का लाभ उठा सकें गी। महिला कर्मचारी को बच्चे की विकलांगता के आधार पर अवकाश की अवधि सामाजिक न्याय एवं अधिकारितया मंत्रालय द्वारा तय नियमावली के आधार पर ही तय की जाएगी। खास बात यह है कि सरकुलर में स्पष्ट किया गया है कि महिला क र्मचारी इस प्रावधान को अधिकार के तौर पर इस्तेमाल नहीं क र सक ती हैं ।

आधार क्या होगा
बच्चा शारीरिक या मानसिक तौर पर विकलांग, कम से कम 40%
बच्चे की उम्र 22 वर्ष से ज्यादा न हो
खासकर घर में बच्चे की देखभाल के लिए सरकारी महिलाकर्मी के अलावा व अन्य कोई व्यवस्था न हो
विकलांग बच्चे की तमाम जिम्मेदारी महिलाकर्मी पर होना
अनिवार्य लम्बे अवकाश के लिए महिलाकर्मियों को पेश क रने होंगे निम्न दस्तावेज

सरकारी अस्पताल द्वारा जारी बच्चे का विकलांगता प्रमाणपत्र।
महिलाक र्मी द्वारा हलफनामा किया जाएगा पेश जिसमें महिला को बच्चे की देखभाल की अन्य व्यवस्था नहीं होने की लेनी होगी शपथ
विभाग से भी लेना होगा अनुमति पत्र(हेमलता कौशिक,हिंदुस्तान,दिल्ली,7.8.2010)

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