एमबीबीएस करने के बाद डॉक्टरों को एक साल की इंटर्नशिप के दौरान जूनियर डॉक्टर के बराबर ही कार्य करना पड़ता है । पर उन्हें सिर्फ 8900 रु पये ही प्रतिमाह दिए जा रहे हैं । दिल्ली के तीन मेडिकल कॉलेजों मौलाना आजाद, लेडी हार्डिं ग और यूनिवर्सिटी कॉलेज और मेडिकल साइंसेज में पिछले चार साल से इस राशि में इजाफा नहीं हुआ है । जबकि एम्स में डाक्टरों को 13500 रु पये मिल रहे हैं । तीनों कॉलेजों के छात्रों की भी मांग है कि उनकी इंटर्नशिप की राशि एम्स के बराबर की जाए। डॉक्टरों का क हना है कि इतनी महंगाई में महानगरों में इतनी राशि में गुजारा करना संभव नहीं है । मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की इंटर्न यूनियन आजाद मेडिकोज के प्रेसीडेंट डा. सुमित अग्रवाल ने कहा कि 2008 में इंट र्न डॉक्टरों के विरोध के बाद सरकार ने इंटर्नशिप की राशि 5 हजार से बढ़ाक र 8900 रुपये की थी जिसे 2007 से लागू किया गया था। तब यह भी तय किया गया था कि प्रत्येक दो साल में इसकी समीक्षा की जाएगी। इसके बाद 2009 में इसकी समीक्षा होनी थी और इसे बढ़ाया जाना था। लेकि न अब 2010 के भी 7 महीने गुजर गए हैं अभी तक छात्रों को 8900 रु पये ही प्रतिमाह मिल रहे हैं । उन्होंने क हा कि इस मुद्दे को मेडिक ल कॉलेज और यूजीसी के समक्ष उठाया गया है तो उन्होंने जल्द इसे बढ़ाकर 11300 प्रतिमाह क रने का आश्वासन दिया है । उधर, आईएमए के वरिष्ठ संयुक्त सचिव डा. अनिल बंसल ने कहा कि इंटर्नशिप करने वालों को जूनियर रेजिडें ट डाक्टरों के बराबर ही कार्य करना पड़ता है। जूनियर रेजिडेंट डाक्टर को 46 हजार रुपया प्रतिमाह मिलता है। इसलिए इंटर्नशिप करने वाले डाक्टर को इसका कम से क म 40 फीसदी तो मिलना चाहिए। बेहतर यह है कि इसे महं गाई से जोड़ते हु ए इसमें स्वत: वृद्धि का फॉर्मूला अपनाया जाए।
ब्याज दरों में कमी की मार के चलते मानव संसाधन मंत्रालय को छात्रवृत्ति देने के लिए गठित कोष को समाप्त करना पड़ा। एक हजार करोड़ रुपये के कोष की स्थापना का उद्देश्य इससे मिलने वाली ब्याज राशि से मेधावी बच्चों को छात्रवृत्ति देना था। लेकि न ब्याज दरें घटने के कारण सरकार ने हाल में इसे खत्म क र दिया। अब छात्रवृत्ति के लिए अलग से प्रतिवर्ष 90 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने राज्यसभा में यह जानकारी दी(मदन जैड़ा,हिंदुस्तान,दिल्ली,7.8.2010)।
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