बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा 2010-11 में जिन छात्रों को परीक्षा में शामिल किया गया उनका परिणाम न रोके जाने के आदेश उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने दिए हैं। पीठ ने स्नातक या परास्नातक स्तर पर 45 फीसदी अंक वाले याचीगणों का परीक्षा परिणाम तत्काल प्रभाव से 5 अगस्त तक घोषित करने का आदेश दिया है। यदि 5 अगस्त तक परिणाम घोषित नहीं किया जाता है तो लखनऊ विश्र्वविद्यालय के कुलसचिव 6 अगस्त को पीठ के समक्ष उपस्थित होंगे। यह आदेश न्यायमूर्ति श्री नारायण शुक्ला की एकल पीठ ने याची कुमारी डिम्पल व अन्य की ओर से प्रस्तुत याचिका पर दिया है। पीठ ने इन याचीगणों की सीटें काउंसिलिंग में आरक्षित रखने का भी आदेश दिया है। विदित हो कि बीएड प्रवेश परीक्षा पांच मई को होनी थी जिसमें शामिल होने के लिए अर्हता 45 प्रतिशत फीसदी रखी गई। बाद में प्रवेश परीक्षा के आयोजक लविवि प्रशासन ने एनसीटीई के तहत उन्हीं अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने को कहा जिनके स्नातक या परास्नातक में 50 फीसदी अंक हैं। इस मामले में उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की गई। याचीगणों ने अपना पक्ष रखा कि जब किसी भी प्रवेश परीक्षा में स्नातक के अंकों की बाध्यता नहीं है तो बीएड प्रवेश परीक्षा में पचास प्रतिशत अंकों की बाध्यता करना संविधान के विपरीत है। पीठ ने गत चार मई को 45 फीसदी अंक पाने वाले याची अभ्यर्थियों को प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी थी। 19 जून को प्रवेश परीक्षा हुई, इसमें 45 प्रतिशत अंक पाने वाले 1.45 लाख अभ्यर्थियों को शामिल किया गया(दैनिक जागरण,लखनऊ,5.8.2010)।
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