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06 अगस्त 2010

बिहारःशिक्षकेतर कर्मचारियों की हड़ताल अवैध घोषित

सरकार ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षकेतर कर्मियों की एक माह से अधिक से चल रही हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए हड़ताली कर्मचारियों के लिए काम नहीं तो वेतन नहीं का फार्मूला लागू कर दिया है। मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने गुरुवार की रात बताया कि हड़ताली शिक्षकेतर कर्मियों के लिए काम नहीं तो वेतन नहीं का फार्मूला लागू कर दिया गया है। उन पर सरकारी काम-काज में बाधा डालने के आधार पर कार्रवाई की जायेगी। प्रधान सचिव ने बताया कि सरकार ने हड़ताली कर्मियों के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की वार्ता की गई। उनकी तमाम मांगें भी मान ली गयीं थीं मगर विजयप्रकाश कमेटी की अनुशंसाओं में सुधार को लेकर वे अपनी जिद पर अड़े हुए थे। लिहाजा नो वर्क-नो पे लागू करने के लिए सरकार को मजबूर होना पड़ा। कर्मचारियों की बुधवार को प्रधान सचिव के साथ हुई वार्ता फेल हो जाने के बाद अधिकारियों के बीच ऐसी चर्चा थी कि सरकार अब उनके साथ सख्ती से पेश आयेगी। गुरुवार को इस मसले पर शीर्ष अधिकारियों के बीच बैठकें भी हुई तथा देर रात हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए हड़ताली कर्मियों पर सरकारी काम-काज में बाधा पहुंचाने पर कार्रवाई करने का निर्णय किया गया। प्रधान सचिव ने जानकारी दी कि विजय प्रकाश कमेटी की अनुशंसाएं विभाग को मिल चुकी है और संलेख तैयार कर उसे जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। बताते चलें कि शिक्षकेतर कर्मचारियों की विगत 1 जुलाई से चल रही हड़ताल के चलते विश्वविद्यालयों व अधीनस्थ कालेजों में पठन-पाठन ठप है। संस्थानों में ताले लटके रहने के चलते हड़ताल पर न रहने के बावजूद शिक्षक कक्षाएं नहीं ले रहे। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार से कालेजों के ताले खुलवाने की व्यवस्था कर पठन-पाठन कार्य शुरू कराने की तैयारी की जायेगी(दैनिक जागरण,पटना,6.8.2010)।

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