प्रचार-प्रसार के अभाव में युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करने को सरकार की ओर से इंटर स्कूलों में व्यावसायिक कोर्स शुरू करने की योजना लटक गयी है। इसका मुख्य कारण छात्रों में कोर्सो के बारे में जागरूकता काअभाव है। विद्यालय प्रशासन छात्रों की बाट जोह रहा है, छात्र इंटर स्कूलों की ओर रुख ही नहीं कर रहे हैं। विदित हो कि जिले के कुल नौ इंटर स्कूलों में व्यावसायिक कोर्स शुरू किये गये थे। मानव संसाधन विभाग ने छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने के लिए सरकारी इंटर स्कूलों में चार कोर्स शुरू किये थे। जिले के कुछ चुने हुए इंटर स्कूलों में ही कम्प्यूटर विज्ञान, मल्टीपल हेल्थ वर्कर, इंलैण्ड फिशरी, फूड एवं फ्रूट प्रिजर्वेशन प्रोसेसिंग का कोर्स चालू है। सरकार को आशा थी इन कोर्सो से छात्रों को नयी दिशा मिलेगी। कोर्सो के प्रति छात्रों में आकर्षण पैदा होगा। लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में ऐसा नहीं हो सका। प्रत्येक कोर्स में 25 छात्रों के प्रशिक्षण की व्यवस्था है। परन्तु अधिकांश सीटें खाली रह जा रही हैं। व्यावसायिक कोर्सो में पढ़ाई करने वाले छात्रों को कुल 1000 अंकों की परीक्षा देनी होती है। मिलर हाईस्कूल के प्राचार्य राजाराम सिंह का कहना है कि इंटर स्कूलों में पढ़ाये जाने वाले कोर्स आईटीआई के समकक्ष हैं। इन कोर्सो में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्रों का सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं में रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। सभी कोर्स दो वर्ष के हैं। इसके लिए विद्यालय में अनुदेशक भी बहाल किये गये हैं। हाईटेक प्रयोगशाला स्थापित है। इन कोसरें को करने वाले छात्र कला में सीधे स्नातक के लिए नामांकन के हकदार होंगे। पिछले वर्ष मिलर स्कूल में 100 सीटों पर मात्र 34 छात्र ही नामांकन कराये(नीरज कुमार,दैनिक जागरण,पटना,6.8.2010)।
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