मास्टर ऑफ एजूकेशन एमएड की परीक्षा में अनियमितता का मामला राजभवन तक पहुंच गया है। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने शुक्रवार को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर इस परीक्षा में निजी कालेज संचालकों व विश्वविद्यालय प्रशासन की मिलीभगत के आरोप लगाए हैं। साथ ही पूरे मामले की जांच की मांग की है। वहीं बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने सारी गड़बड़ी की जिम्मेदारी कालेज प्राचार्यो पर डालते हुए सभी के प्रवेश पत्र जारीकर दिए हैं। भाराछासं के प्रदेश महासचिव विवेक त्रिपाठी के नेतृत्व में पहुंचे प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल के नाम प्रेषित ज्ञापन में शिकायत की है कि अधिकांश कालेजों ने सत्र के आरंभ में प्रवेश लेने वाले प्रदेश के छात्र-छात्राओं को हटा दिया है। उनकी जगह दलालों के जरिए आए अन्य राज्यों के विद्यार्थियों के परीक्षा फार्म भर दिए गए हैं। कई कालेजों में शत प्रतिशत छात्र बाहरी राज्यों के हैं। यह परीक्षा शनिवार से शुरू होना है, लेकिन अधिकांश की पात्रता भी अब तक जारी नहीं हुई है। संगठन ने प्रदेश के गरीब छात्रों को न्याय दिलाने के लिए इस अनियमितता की विस्तृत जांच कराने की मांग की है। इसकी प्रति उच्च शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव और आयुक्त को भी भेजी गई है। एक और कालेज से आए फार्म : प्रवेश सूची और परीक्षा फार्म का विवाद पहले से ही चल रहा था। इसी बीच मल्होत्रा कालेज ने भी अपने 25 परीक्षा फार्म विवि में पहुंचा दिए हैं। दो दिन से इसके फार्म विवि के अधिकारियों की टेबल पर रखे हैं। साथ ही इन छात्रों को परीक्षा में शामिल कराने के रास्ते भी खोजे जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार इस कालेज को स्थायी समिति द्वारा 21 जुलाई को ही संबद्धता दी है। कार्य परिषद की मंजूरी इसके पास आजतक नहीं है। वहीं उच्च शिक्षा विभाग की अनुमति भी इसके पास नहीं है। बावजूद इसके शनिवार को परीक्षा के पहले इस कालेज के प्रवेश पत्र जारी हो जाएं तो बड़ी बात नहीं(दैनिक जागरण,भोपाल,7.8.2010)।
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