अल्पसंख्यकों के लिए अब हेल्पलाइन भी होगी। वजह है उनकी तालीम और तरक्की के लिए चलाई जा रही योजनाओं की उन्हें पूरी जानकारी न होना। जानकारी है भी तो ढेरों सवाल हैं, लेकिन उनका जवाब देने वाला कोई नहीं। राज्य सरकारें भी इस ओर उदासीन हैं। लिहाजा केंद्र सरकार ने उनके लिए अलग से हेल्पलाइन शुरू की है। हालांकि, यह अभी प्रायोगिक तौर पर है, लेकिन जल्द ही यह सभी सरकारी कार्य दिवसों में पूरे दिन काम करेगी। सूत्रों के मुताबिक पढ़ाई में अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों में प्री-मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक, मेरिट कम मीन्स (योग्यता सह साधन) छात्रवृत्ति और एम.फिल. व पीएच.डी. के लिए फेलोशिप शुरू करने के संकेत तो अच्छे हैं, लेकिन समुदाय के बीच विभिन्न योजनाओं की अभी भी समुचित जानकारी नहीं है। जिन्हें कार्यक्रम की जानकारी है भी, उनके पास कई सवाल हैं। राज्यों के स्तर पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जहां संपर्क करके लोग सीधी जानकारी हासिल कर सकें। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो अल्पसंख्यकों समुदाय, खासतौर से मुस्लिम छात्रों व युवाओं में योजनाओं को लेकर तमाम जिज्ञासाएं हैं जबकि उनकी जानकारी मीडिया से मिलने वाली सूचनाओं तक ही सीमित है। अल्पसंख्यकों को उनकी योजनाओं की जानकारी न होने की ज्यादा शिकायतें उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से हैं जहां मुस्लिम आबादी काफी है। मंत्रालय ने फिलहाल प्रयोग के तौर पर चार घंटे की हेल्पलाइन शुरू कर दी है। हेल्पलाइन के फोन नंबर मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। हेल्पलाइन आने वाले दिनों में कार्यालय समय में पूरे दिन काम करेगी। बताते हैं कि कॉल करने वाले को तुरंत वांछित सूचना न मिलने पर मंत्रालय बाद में खुद उसके नंबर पर जानकारी मुहैया कराएगी। गौरतलब है कि मंत्रालय ने अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को प्रि-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए बीते साल 15 लाख का लक्ष्य रखा था, जबकि वह इसे 17 लाख बच्चों को देने में कामयाब रहा। लिहाजा इस साल इसका लक्ष्य 20 लाख कर दिया है। इसी तरह पोस्ट मैट्रिक में तीन लाख की जगह उसने लगभग चार लाख बच्चों को छात्रवृत्ति दी। अलबत्ता मेरिट कम मींस में 42 लाख छात्रों के बजाय सिर्फ 36 लाख बच्चों को ही छात्रवृत्ति मिल सकी। हालाकि इस साल इसका भी लक्ष्य बढ़ाकर 55 लाख कर दिया गया है।(राजकेश्वर सिंह,दैनिक जागरण,दिल्ली,8.8.2010)।
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