निजी स्कूलों के साथ ही अब सरकारी स्कूलों में भी मनमानी के मामले सामने आ रहे हैं। सरकारी स्कूलों में छात्रों को बिना वजह दाखिला न देने के मामलों में निदेशालय स्कूलों से जवाब तलब करेगा।
सरकारी स्कूलों में छात्रों को दाखिला न देने के मामलों को लेकर अब निदेशालय भी सख्त हो गया है। निदेशालय के पास लगातार आ रही सरकारी स्कूलों की शिकायतों पर निदेशालय कार्रवाई करेगा। इन शिकायतों को देखते हुए निदेशालय भी स्कूलों की सूची तैयार कर रहा है। एक अधिकारी के मुताबिक इन स्कूलों की जांच होगी, कोई स्पष्ट वजह नहीं मिलने पर स्कूलों पर कार्रवाई भी होगी। स्कूल अगर दाखिला नहीं दे रहा है तो उसे वजह भी बतानी होगी। अलग-अलग क्षेत्रों के स्कूलों के नाम पहले जोन के शिक्षा निदेशक को दी जाएगी। जोन शिक्षा विभाग मामले की जांच कर रिपोर्ट निदेशालय को देगा। दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम के नियम ३८ में स्पष्ट है कि किसी भी छात्र के परीक्षा में फेल होने के आधार पर स्कूल उसे दोबारा दाखिला देने से इंकार नहीं कर सकता है।
हाल ही में उच्च न्यायालय ने भी छह छात्रों हिना खान, बलून, बरखा, रिजवान, मोहम्मद फजिल और आमिर खान को सर्वोदय स्कूल जहांगीर पुरी, सरकारी सह शिक्षा स्कूल गाजीपुर, खजूरी खास और जाफराबाद के स्कूलों में दाखिला देने नहीं देने के मामले में स्कूलों से तलब किया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी आठ छात्राओं को सर्वोदय कन्या विद्यालय बाबरपुर, खजूरी खास, न्यू अशोक नगर और गोकुलपुर के स्कूलों में दाखिला न दिए जाने की शिकायत निदेशालय से की गई थी। कविता कालॉनी नांगलोई के सरकारी सह शिक्षा सीनियर सेकेंड्री स्कूल में भी दसवीं पास हुए लड़कों को ग्यारहवीं में दाखिला नहीं दिया गया। अभिभावकों ने स्कूल से बात की तो प्रबंधन ने दाखिले से साफ इंकार कर दिया। इस मामले में भी अभिभावकों ने जोन शिक्षा विभाग के साथ ही निदेशालय में भी शिकायत की थी(नई दुनिया,दिल्ली,7.8.2010)।
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