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07 अगस्त 2010

आईपी यूनिवर्सिटी : डिफेंस कोटे के ऐडमिशन में हेराफेरी

गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ (आईपी) यूनिवर्सिटी में एडमिशन में हेराफेरी के आरोपों की लिस्ट लंबी होती जा रही है।
अब डिफेंस कोटे में एडमिशन में धांधली का मामला सामने आया है। चार स्टूडेंट्स ने इस मामले में यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, प्रिंसिपल सेक्रेटरी (हायर एजुकेशन) और एलजी को लेटर लिखकर शिकायत की है।

यूनिवर्सिटी ने इंजीनियरिंग के विभिन्न कोर्सेज में एडमिशन के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) का आयोजन किया था। गजेंद्र वर्मा (रैंक-591), संदीप (रैंक-478), सौरभ यादव (रैंक-824) और किरण कुमार (रैंक-1473) का कहना है कि डिफेंस कोटे के तहत हमें 15 जुलाई को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया था। हमने इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया हुआ है और इसी के आधार पर हमें सेकंड ईयर में एडमिशन लेना था, मगर काउंसलिंग के समय फाइनल सेमेस्टर की मार्क्स शीट नहीं मिली थी।

यूनिवर्सिटी के ब्रोशर और वेबसाइट पर यह जानकारी दी गई थी कि अगर काउंसलिंग के समय तक किसी स्टूडेंट का फाइनल क्वॉलिफाइंग एग्जाम का रिजल्ट घोषित नहीं हुआ है, तो उन्हें प्रोविजनल एडमिशन दे दिया जाएगा और 29 अक्टूबर तक वे अपने डॉक्युमेंट्स जमा करा सकते हैं। इसलिए हम काउंसलिंग के लिए गए, लेकिन वहां हमें कहा गया कि मार्क्स शीट के बिना एडमिशन नहीं मिलेगा, इसलिए दूसरे दिन मार्क्स शीट लेकर आएं। दूसरे दिन गए तो पता लगा कि हमारे बाद की रैंक वालों को एडमिशन दे दिया गया और हमें कहा गया कि अब जिस स्ट्रीम की सीटें बची होंगी, उसमें एडमिशन लेना पड़ेगा। इस समय तक मिकेनिकल इंजीनियरिंग में सीटें थीं, जिनमें हम एडमिशन नहीं ले सकते थे।

किरण कुमार के पिता देवेंद्र कुमार का आरोप है कि दूसरी कैटिगरी के कई कैंडिडेट्स को बिना फाइनल मार्क्स शीट के एडमिशन दे दिया गया। योगेंद्र पार्थसारथी नाम के एक कैंडिडेट को एक हफ्ते की अंडरटेकिंग लेकर बिना मार्क्स शीट लिए ऐडमिशन दे दिया गया, लेकिन मेरे कैंडिडेट को मना कर दिया गया। यानी हर स्टूडेंट के लिए अलग-अलग नियम लागू किए जा रहे हैं। हालांकि, यूनिवर्सिटी के जॉइंट रजिस्ट्रार (ऐकडेमिक) कर्नल प्रदीप उपमन्यु सारे आरोपों को गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी के ब्रोशर में यह लिखा है कि किसी भी कैंडिडेट की कंपार्टमेंट नहीं होनी चाहिए। ऐसे में हर कैंडिडेट को यह प्रूव करने के लिए कि उनकी कंपार्टमेंट नहीं है, फाइनल क्वॉलिफाइंग एग्जाम की मार्क्स शीट लेकर आनी चाहिए। ये स्टूडेंट्स नहीं लेकर आए थे, इसलिए इनके लिए सीट ब्लॉक नहीं की जा सकती थी। बाद में उन्हें बची हुई स्ट्रीम की सीटों पर एडमिशन देने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने खुद मना कर दिया(नीतू सिंह,नवभारत टाइम्स,6.8.2010)।

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