देश में नौकरियों की संख्या में वृद्धि हो रही है, लेकिन कंपनियों से मिल रहे संकेतों के मुताबिक अभी भी हालात बेहद खराब हैं। 2010 में नौकरियों को लेकर हुए एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 10 नौजवानों में से केवल एक को ही नौकरी मिल पाएगी।
मानव संसाधन सेवाएं उपलब्ध कराने वाली कंपनी मा फोई रेंडस्टैड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पंडिया राजन ने कहा कि इस साल सभी क्षेत्रों में 10.5 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे, लेकिन नौकरी चाहने वाले लोगों की संख्या इस दौरान एक करोड रहेगी। रंजन ने कहा कि सर्वेक्षण में अगले तीन महीनों में 3,20,400 नए रोजगार पैदा होने का अनुमान लगाया गया है और चौथी तिमाही में भी इतने ही रोजगार निर्मित होंगे। इस साल कुल रोजगारों की संख्या 10 लाख हो जाएगी। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नौकरियों के क्षेत्र में कमजोरी बनी हुई है। ह्यूमन कैपिटल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीएस मूर्ति ने कहा कि बाजार अभी मंदी से पहले के सामान्य स्तर पर नहीं पहुंच पाया है। नौकरियों की संख्या कम बनी हुई है और नौकरी चाहने वाले लोगों की संख्या बढती जा रही है। मूर्ति ने कहा कि यदि देश के सभी क्षेत्रों में पर्याप्त गति से विकास नहीं हुआ, तो यह स्थिति अगले एक दशक तक बनी रहेगी।
दावे झूठे करते आंकडे़
रेंडस्टैड ने देश के 13 उद्योगों की 650 कंपनियों को इस सर्वेक्षण में शामिल किया है। ये कंपनियां दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद में स्थित हैं। सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि 2010 के पहले छह महीनों में 4,18,564 रोजगारों का सृजन हुआ(राज एक्सप्रेस,बेंगलोर,17.9.2010)।
इस तरह से तो स्थिति काफी जटिल और भयावह होने वाली है... शिक्षा की सुलभता के कारण बड़ी मात्रा में निकलने वाले एम् बी ए और इन्जीनिर्स के लिए काम पाना आसान नहीं होगा ... इस समस्या पर पहले से और गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो स्थिति और भी नाज़ुक होने वाली है ... अच्छा और सार्थक ब्लॉग है आपका
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