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14 सितंबर 2010

'नई दुनिया' की "भाषा नीति" श्रृंखला-11(समापन कड़ी)

दो गिरफ्तारी!

यह आरोप कुछ हद तक ठीक है कि हिन्दी की दुर्दशा हिन्दी के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में अधिक हो रही है। लेकिन यह अधूरा सच है। इसका शेष सच यह है कि प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक हिन्दी सिखाने की प्रणाली ही जर्जर हो चुकी है। यह कहना अनुचित नहीं होगा कि शिक्षा प्रणाली में हिन्दी की घोर उपेक्षा है और इसीलिए जो परिणाम मिल रहे हैं वे खराब हैं। फिर भी हिन्दी का प्रचार-प्रसार समाचार पत्र-पत्रिकाओं से ही अधिक हो रहा है। समाचार-पत्रों में हिन्दी की दशा के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं : "उन्होंने बहुत-से ग्रंथ अनुवाद किए हैं" (उन्होंने बहुत-से ग्रंथों का अनुवाद किया है)। कोष्ठक में सही रूप दिया गया है। "उसने कहा कि मैं चार भाई हूं।" (उसने कहा कि उसके चार भाई हैं या उसने कहा कि वे चार भाई हैं)। "कपड़े उतारकर रख दिया" (कपड़े उतारकर रख दिए)। बाढ़ से फसल सर्वनाश हो रही है। (बाढ़ से फसल नष्ट हो रही है)। अनेक उदाहरण हैं जिनमें ऐसी भूलें देखी जा सकती हैं। "उसके सींगें नहीं थी," "रिक्शा का पिछली पहिया टूट गई," "लखनऊ की स्टेशन पर पहुंचकर मैंने देखा", "नगर में सशस्त्र पुलिस की गश्त" ('का" होना चाहिए), "दिल्ली में दो गिरफ्तारी" ('गिरफ्तार" चाहिए)। कुछ और उदाहरण हैं जिनमें वचन की संगति का ध्यान नहीं रखा गया है। "कमरे में कुर्सी और सोफे करीने से सजे हुए थे।" ('कुर्सियां" होना चाहिए)। "बहुत से पत्र (पत्रों चाहिए) और पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद हो गया।" "यह ग्रंथ दोहा (दोहे) और चौपाइयों में लिखा गया है।" "भिन्ना-भिन्ना देश (देशों) और जातियों में यह प्रथा समान रूप से प्रचलित है।" "मिस्र के पिरामिड उसकी महत्ता के प्रमाण है (हैं)।" इस तरह "भी" का अनावश्यक प्रयोग भी बहुतायत से पाया जाता है। "मैं यह हरगिज भी नहीं समझ सकता।" "यह बात जब भी (जब कभी) मैंने उन पर प्रकट की...।" "वह बिलकुल भी बात करना नहीं चाहते थे।" "चाहे जैसे भी हो, तुम वहां जाओ।" "भी" के इस तरह अनावश्यक प्रयोग से बचा जाना चाहिए(दिल्ली संस्करण,14.9.2010)।

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