कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व नलवा के विधायक प्रोफेसर संपत सिंह ने कहा है कि वे जाटों को आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। अगर जाट समाज को आरक्षण मिलता भी है तो उसे केवल 11 प्रतिशत कोटे में ही हिस्सेदारी मिलेगी।
संपत ने पत्रकारों से कहा कि प्रदेश में जाट व जट सिखों की जनसंख्या 30 प्रतिशत से अधिक है। सामान्य वर्ग में होने के कारण प्रदेश में जाट नौकरियों में फिलहाल 50 प्रतिशत कोटे की हिस्सेदारी लेने का हकदार है। अगर उन्हें ओबीसी वर्ग में शामिल किया जाता है तो केवल इस वर्ग में केवल 11 प्रतिशत कोटे में ही हिस्सेदारी मिलेगी।
उन्होंने कहा कि हरियाणा की नौकरियों में पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है। इसमें 16 प्रतिशत परंपरागत पिछड़ी जातियों के लिए तथा शेष 11 प्रतिशत अन्य पिछड़ी जातियों के लिए हैं। वहीं कोर्ट के निर्णय के अनुसार अगर किसी भी आरक्षित वर्ग की नौकरी के लिए फार्म भरते समय फीस या आयु सीमा छूट का लाभ लिया है तो उसे दूसरी श्रेणी में जाने का अधिकार नहीं होगा, चाहे वह मेरिट में टॉपर ही क्यों न हो। इसलिए कोई भी जाट 50 प्रतिशत की भागीदारी को छोड़कर 11 प्रतिशत में नहीं आना चाहेगा।
आर्थिक होना चाहिए आधार
इसके बावजूद जाट समुदाय हरियाणा में नौकरियों में आरक्षण चाहता है तो विचारों में भिन्नता के लिए उन्हें माफ करें। संपत ने कहा कि जहां तक केंद्र सरकार में नौकरियों में आरक्षण का विषय है तो वे चाहेंगे कि जाट जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाए। इसलिए उनकी व्यक्तिगत राय यह है कि इस आरक्षण का आधार आर्थिक होना चाहिए। वरना इसका लाभ बड़े घरानों तक ही सीमित रह जाएगा(दैनिक भास्कर,हिसार,20.9.2010)।
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